आजकल माइंडफुलनेस के बारे में बहुत चर्चा है और बहुत ही पापुलर शब्द हो गया है। पर भारत ने ये बहुत सालों से है। 2500 साल पहले गौतमबुद्ध ने इसके बारे में बहुत विस्तार से समझाया था। ये अपने मन को समझने की और अपने वर्तमान से जुड़े रहने की एक प्रकार की समझ है। वर्तमान में जो हो रहा है उसकी जानकारी पुरी तरह बनी रहे। अगर हम माइंडफुल है तो इसका मतलब है कि हम जान रहे हैं कि पल पल में क्या हो रहा है।
माइंडफुलनेस क्या है
किसी चीज के बारे में जागरूक होना, अपने वर्तमान को लेकर कई बार ज्यादा sensetive होना और आपके लगातार प्रयास जो आपके शरीर, मन और अहसास को उसी क्षण में रखते हैं जहां आप है। आसान शब्दों में कहा जाए तो वर्तमान में रहना, वर्तमान में जीने की कला ही माइडफुलनेस है।
माइडफुलनेस मेडिटेशन के प्रकार
माइडफुलनेस मुख्यतः पांच प्रकार के होते हैं -
1. सांस पर ध्यान
2. ध्यान देकर सुनना
3. ध्यान देकर देखना
4. विचारों पर ध्यान देना
5. शरीर के खिंचाव पर ध्यान देना
माइडफुलनेस मेडिटेशन कैसे करे
1. सांस पर ध्यान - माइंडफुलनेस करना बहुत आसान है आप जिस वक्त जहां है उस पर पुरी तरह ध्यान लगाना होता है। इसके लिए कमर सीधी रखकर खुर्ची पर बैठे या फिर चौकडी मारकर बैठे और सबसे पहले प्रकार के माइंडफुलनेस में आपको सांस पर ध्यान देना है। इस आप कम से कम 10 मिनट तक अपना ध्यान सांस पर लगाऐ। अन्दर जाती और बाहर आती सांस को सहज रूप में महसूस करें। सांस के उतार चढ़ाव को महसूस करें। एक हाथ पेट पर रखें और गौर की जब सांस ले तो पेट बाहर हो और जब सांस छोड़ें तो पेट अन्दर की ओर आए।
आप ये भी गौर कर सकते हैं कि सांस थोड़ी है की गर्म। जब भी ध्यान सांस से हटकर इधर उधर जाए तो घबराए नहीं ऐसा सबकै साथ होता है। हमारा बहुत ही चंचल है और एक जगह पर स्थिर नहीं रहता, लेकिन भटकाव के बाद फिर से अपने मन को सांस पर केन्द्रित करें। आप सांस के प्रति सजग रहें और जब भी मन भटके उसे लौटाकर फिर से सांस पर ले आए, ऐसा करते हूं सांस सामान्य तरीके से ही ले, सांस गहरी नहीं लेनी चाहिए।
2. ध्यान देकर सुनना - इस प्रक्रिया के दौरान आप ध्यान अ
पाने आसपास आ रही आवाजो पर ले जाएं। जैसे पंखे की आवाज, ट्रेफिक की आवाज, किसी से बात करते आवाज या फिर आसपास की कोई आवाज पर कम से कम 10 मिनट तो आप ध्यान जरूर लगाएं। देखें की कैसी कैसी आवाजें आ रही है, कौन सी तेज है , कौन सी धीमी, कौन सी आवाज किसी दिशा से आ है, कौन सी आवाज लगातार आ रही है और कौन सी आवाज रूककर आ रही है। इस अभ्यास को करते हुए किसी भी तरह कुछ पुर्वाधारणा ना रखें ना ही किसी भी तरह की राय कायम करें ।
हर तरफ की आवाज को स्वीकार करें। बस आवाज पर ध्यान केंद्रित करें। इस अभ्यास को करते हुए आपका ध्यान कहीं ओर चला जाता है तो उसके प्रति सजग हो जाए और धीरे धीरे ध्यान अपने आसपास हो रही आवाजो पर ले जाएं।
3. ध्यान से देखना - हम जौ कुछ भी देख रहे हैं उसे हम उसके असल रूप में देख रहे हैं। अपने आसपास दैखे। क्या क्या दिख रहा है। बालु बारी से एक एक चीज पर गौर करें। चीजों के आकार और रंग पर गौर करें। देखें उस चीज की सतहठौस हो या धर्म, खुरदरी या चिकनी है। आमतौर पर हम जब कुछ देखते हैं तो पुर्वधारणा बनाकर देखते है और हसही गलत अच्छे, बुरे का फैसला करने लगते हैं। ऐसा बिल्कुल ना करै। अगर ध्यान करते हुए आप किसी चीज के अच्छे या बुरे हौने के बारे में सोचने लगेंगे तो उसके प्रति सजग होकर अपना ध्यान उस स चीज कै उपर ले जाएंगे।
4.विचारो पर ध्यान देना - हमारा मन बहुत चंचल होता है। यह हमेशा बंदर की तरह दौड़ता है। इसे एक जगह पर लगाना मुश्किल होता है। लेकिन आपको यही करना है। अपने मनमे आ रहे विचारों पर ध्यान लगाएं इस अभ्यास के दौरान हम अनुभव करते हैं कि हमारा मनएक लम्हा किसी एक जगह पर टिक नहीं पाता और हमारे मन में न जाने कितने सारे विचार आते जाते रहते हैं। मन में आनै वाले विचारों को आने और जाने दे। उन्हें जबरन रोके नहीं और ना ही उन पर मन में सही ग़लत या अच्छै या बुरे की टिप्पणी करें। अगर मन विचारो में उलझे जाता है तो अपना ध्यान वापस अपने सांस पर लगाए।
5. शरीर के खिंचाव पर ध्यान देना - इसको करने के लिए आप खड़े होकर बाजुओं को उपर की ओर खिंचे। अगर खुर्ची पर बैठे हैं तो बैठे बैठे हाथों को उपर की ओर खिंचे और अपना ध्यान बाजुओं पर केन्द्रित करें। उंगलियों से कंधों की ओर ध्यान दें जाए। फिर जमीन पर बैठकर पैरों को सामने फैलाए। अगर खुर्ची पर बैठे हैं तो पैरों को सामने की ओर ताने। इसके बाद पैरों के पंजों से लेकर टखनों और पुरे पैर पर ध्यान लगाएं।
माइंड फुलनेस मेडिटेशन के लाभ
1. मन की चंचलता समाप्त हो जाती है। मन या तो अतीत में जाता है या भविष्य में, तो मन अतीत और भविष्य के धुले मे जुलता रहता है। लेकिन अगर आप माइडफुलनेस में जीओंगे, आप साक्षी में जीते हैं तो मन की चंचलता समाप्त हो जाती है।
2. माइंडफुलनेस से निर्विचार घटीत हो जाता है। जैसे ही आप माइंडफुलनेस या वर्तमान में जीते हो तो विचार नहीं आते हैं।
3. अतित और भविष्य से मुक्त होकर चेतना वर्तमान में आ जाती है। इससे एक तरह की खुशी रहती है आपको किसी बात का शोक नहीं होंगा।
4. मन शांत हो जाता है और प्रसन्न हो जाता है जैसे ही आप माइंडफुलनेस में रहोंगे मन की सारी अशांति दूर हो जाती है। उत्तेजना दुर होती है, और चित्त में एक प्रसन्नता आने लगती है, खिन्नता दुर होती है।
5. आपकी दृष्टि विधायक ( positive) दृष्टि हो जाती है। अर्थात जो है उस पर आपका ध्यान जाता है।
6. इसे करने से अहोभाव का जन्म होता है, थेंकफुलनेस का जन्म होता है, ग्रेडीट्युट का जन्म होता है। आपको लगता है कि ये सृष्टि कितनी सुन्दर है, परमात्मा ने कितनी सुन्दर सृष्टि बनाई है। इस तरह से एक अहोभाव का जन्म होता है।
7. अगर आप अपने इष्ट पर माइंडफुलनेस का प्रयोग करें, इश्वर स्मरण के साथ के माइंडफुलनेस करें एक स्वरुप सिद्धी की प्राप्ति हो जाती है।
8. इष्ट का सहयोग मिलना शुरू हो जाता है।
9. आपका अन्दर आत्मबल पैदा होता है। आप आत्मबली हो जाते हैं। मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में भी आपके कदम नहीं डगमगाते है।
10. अगर आप माइडफुलनेस का प्रयोग करते हैं। साक्षी का प्रयोग करते हैं। तो ध्यान और समाधि मैं जाना बड़ा आसान हो जाता है।
निष्कर्ष
मैं आशा करता हूं कि माइंडफुलनेस मेडिटेशन क्या है, कैसे करे, ये आपको मालूम हो गया होगा। अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी है तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे।