पद्मासन क्या है
पद्मासन एक ध्यानात्मक आसन(Meditative posture) है। संस्कृत में पद्म कमल का पर्यायवाची है। पैरों तथा हाथों की आकृति कमल के पंखड़ियों जैसी बनने से उसे पद्मासन कहते हैं। ध्यान के लिए यह आसन सर्वोत्तम आसन है।ईस आसन को हम ज्ञान मुद्रा के साथ भी कर सकते हैं और उसे विप्राग मुद्रा के साथ भी कर सकते हैं। नाभी के नीचे बायां हाथ रखे। उसके उपर दाया रखे। दोनों अंगुठे परस्पर मिले हुए होने चाहिए।आप आंख खोल के भी रख सकते हैं।नाबार्ड दृष्टि रख सकते हैं और कोमलता से बंद भी रख सकते हैं।यह आसन ध्यान को एकाग्र करने के लिए,मन को एकाग्र करने के लिए बहुत ही चमत्कारिक आसन है।
अगर आप इस आसन में आंधे घंटे के लिए आराम से बैठने मात्र से ही आपकी ध्यान की स्थिति स्वत बनने लगती है।
पद्मासन कैसे करें?
पद्मासन करने से पहले आपको अपने पैरों को फैलाकर रखना है। इसके बाद दाएं पैर को मोड़कर बाएं पैर की जंघा पर पे रखे और बाएं पैर को मोड़कर दाएं पैर की जंघा पर रखे।कमर और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें साथ ही साथ गर्दन और कंधों को तानकर रखे।हाथों को ज्ञान मुद्रा के साथ अपने पैरों के घुटनों पर रखें वह शरीर को तान देंगे,आंख बंद कर लें, Deep breathing करते रहे। श्वास,प्रश्वास की गति धीमी हो।लम्बी गहरी सांस लेते रहे। हररोज 20 से 30 मिनट तक पद्मासन करने से यह आसन सिद्ध हो जाता है।
पद्मासन के लाभ।
जब आप पद्मासन में बैठते हैं तो प्राण उर्जा हमारे मुलाधार से निकलकर सहस्त्रार तक आसानी से जाती है।वहां उसको सत्ता मिलती है। significally देखा गया है कि हमारे कमरे की जो (nervous system ) जो हमारी तंत्रिकाएं निकलती है कमर के हिस्से में वह शांत होती है। उसने जो संवेदना होती है वो कम होती है।
जब तक आप पद्मासन में बैठे रहते हैं हमारी सांस भी कम होती है। धीरे धीरे हम सांस लेते हैं। इसलिए जिनका BP अधिक है वह भी अगर इस आसन में बैठते हैं तो उनको भी आराम मिलता है।
जब आप पैर पद्मासन में मोड़ते हैं तो पैरों का रक्त संचार पेट की तरफ बढ़ता है।
जिनका पाचनतंत्र कमजोर है। अगर वो लगातार ईस आसन में बैठते हैं तो उनके पाचनतंत्र में सुधार होता है।यह हमारी चेतना रुपी कमल को भी जाग्रत करता है, इसलिए ईसे कमलासन भी कहा जाता है।
यह आसन हमारे मस्तिष्क को संबल प्रदान करता है। मानसिक तनाव को दुर करने में यह आसन अत्यंत लाभकारी है। एकाग्रता को भी बढ़ाने में यह आसन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ईस आसन के अभ्यास से हमारे कमरे और मेरूदण्ड मजबूत बनाता है।यह आसन हमारे पैर को मजबूती प्रदान करता है। पिंडलियों को को मजबूत बनाता है।यह आसन हमारे स्नायु तंत्र को एवं तंत्रिका तंत्र को संबल प्रदान करता है।यह आसन हमारे जठराग्नि को बढ़ाकर मुख बढ़ाता है।ईस आसन के अभ्यास से हम मानसिक शांति प्राप्त करते हैं।
सावधानियां।
ईस आसन को साफ, स्वच्छ और हवादार स्थान पर करें। बंद कमरे में यह आसन ना करें।
ऐसे व्यक्ति इस आसन को ना करें जिनके घुटने में दर्द होता हो।
ईस आसन को गर्भवती महिलाएं ना करें।
जिन साधकों को उच्च रक्तचाप की समस्या है वो अपने हाथों को उल्टा करके घुटने पर रखें।