वीरभद्रासन 1 क्या है
वीर का अर्थ होता है वीरता, शौर्यता, साहस, बहादुर और भद्र का अर्थ सर्वगुणसंपन्नता, शिष्टाचार है । यह आसन भगवान हनुमान जी की मुद्राओं में से एक माना जाता है। इसके अभ्यास मे साधक के चित्त में कुछ इसी प्रकार कै भाव उत्पन्न होते हैं और जिस प्रकार के भाव उत्पन्न होते हैं उसी प्रकार का हमारा चरित्र निर्माण होता है।
वीरभद्रासन कैसे करें
- इसके अभ्यास के लिए अपने स्थान पर खड़े हो जाए। दोनों पैरों को मिला लें। पिंड, गर्दन सीधी रखें।
- दोनों हाथों को पहले कमर पर रखेंगे। सांसों की गति सामान्य रूप से चलती रहे।
- अपने दाएं पैर को आगे लेकर जाए, जितना आगे सहज रूप से लेकर जा पाए उतने ही आगे लेकर जाएंगे।
- पीछे वाले पंजे को बिल्कुल सीधा रखेंगे और घुटने को भी सीधा रखें।
- अब धीरे धीरे दाए घुटने को मोड़ते रहेंगे। जितना आराम से मोड़ पाए और पीछे वाला घुटना सीधा, ऐडी को जमीन की ओर खींचेंगे जिससे सारा खिंचाव पिंडलियों और जंघाओं पे उत्पन्ना हो।
- गर्दन थौडीसी ऊपर, शरीर को यही पर स्थिर रखेंगे।
- अब धीरे धीरे हाथों को साइड से उपर लेकर जाएंगे। सांस भरते हुए, सांस छोड़ते हुए शरीर को यही पर स्थिर करके रखेंगे और सांसें सामान्य गति से चलती रहे। हाथों को पुरा उपर खिंचेंगे , गर्दन उपर।
- अब साइड है हाथ वापस कमर के उपर और दाएं घुटने को सीधा करके पैर को सीधा करें।
- अब इसी अभ्यास को बाएं पैर से करें।
- वीरभद्रासन के अभ्यास में सांसों की गति सामान्य रूप से चलती रहेंगी।
इसका अभ्यास दोनों तरफ से दो - दो, चार - चार बार तक किया जा सकता है और सामान्य रूप से 15 से लेकर 50 सेकंड तक स्थिर रखा जा सकता है। इसके अभ्यास से पहले ताड़ासन का अभ्यास करें और इसके अभ्यास के बाद वृक्षासन का अभ्यास करें। इस क्रम में यदि अभ्यास किया जाए तो ज्यादा लाभप्रद होता है।
विरभद्रासन के लाभ
- इसके अभ्यास से शरीर की लगभग लगभग सारी मांसपेशियों पर खिंचाव आता है जिससे शरीर में रक्त का संचालन भली प्रकार से हो पाता है। और उर्जा का संचालन भली प्रकार से होता है।
- शरीर में स्थिरता भी आती है। शारीरिक और मानसिक स्थिरता के लिए भी इसका अभ्यास लाभप्रद है। विशेष रुप से पिंडलियों पर, जंघाओं पर, मांसपेशियों पर, नितम्ब पर , कंधों, भुजाओं और छाती इन मांसपेशियों पर खिंचाव उत्पन्ना होता है, जिससे ये अंग बलवान बनते हैं, सुंदर बनते हैं, मजबूत बनते हैं और रक्त का संचालन इसमें भली प्रकार से हो पाता है।
- तन्त्रिका तन्त्र पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- हृदय, फेफड़ों और पेट के लिए इन मांसपेशियों पर भी शरीर के अगले हिस्से पर भी इसका खिंचाव उत्पन्न होता है। जिससे यह अंग भी लचीले, स्वस्थ और बलवान बनते हैं।
- फेंफड़ों में वायु भरने की मात्रा में वृद्धि होती है और हृदय के आसपास रक्तवाहिकाओं में रक्त प्रवाह भली प्रकार से हो पाता है।
सावधानियां
सावधानियो के रूप में इतना रखें कि पीठ से संबंधित लोगों में, घुटनों से संबंधित कोई गंभीर बिमारी होने पर इसका अभ्यास न करें।
वीरभद्रासन 2
उपर हमने विरभद्रासन 1के बारे में जाना। अब हम विरभद्रासन 2 की विधि को सिखेंगे।
वीरभद्रासन कैसे करें।
- इसके अभ्यास के लिए अपने स्थान पर खड़े हो जाएं।
- अपने दोनों पैरों में कंधों से थोड़ा सा अधिक फासला देंगे, जितना फासला सहज रूप से दे पाए।
- पीठ, गर्दन सीधी रहे।
- अपने दोनों हाथों को कंधों की सीध में लेकर जाए।
- अब अपने दाएं पंजे को दाईं ओर बाहर कर देंगे। दाएं घुटने को मोड़ेंगे और गर्दन को दाईं ओर लेकर जाएंगे।
- शरीर को स्थिर करके रखेंगे।
- बायां घुटना बिल्कुल सीधा रहे।
- गर्दन सीधी करेंगे, घुटना सीधा करेंगे, पंजे को सीधा करेंगे।
- अब अपने बाएं पंजे को बाईं ओर करेंगे और गर्दन बाई ओर, दायां घुटना सीधा रहे, गर्दन सीधी, घुटना सीधा, पंजा सीधा हाथ नीचे और वापस आ जाएंगे।
- वीरभद्रासन के अभ्यास में सांसों की गति सामान्य रूप से चलती रहेंगी।
इसका अभ्यास दोनों तरफ से दो - दो, चार - चार बार तक किया जा सकता है और सामान्य रूप से 15 से लेकर 50 सेकंड तक स्थिर रखा जा सकता है। इसके अभ्यास से पहले ताड़ासन का अभ्यास करें और इसके अभ्यास के बाद वृक्षासन का अभ्यास करें। इस क्रम में यदि अभ्यास किया जाए तो ज्यादा लाभप्रद होता है।
लाभ
इसके अभ्यास से शरीर की लगभग सारी मांसपेशियों में खिंचाव और लचीलापन आता है तथा रक्त संचार उचित प्रकार से होने लगता है।
यह पिण्डली और जांघों की ऐंठन को दूर करता है।
कन्धों वो पृष्ठभाग की अकड़न को दूर करता है। यह अभ्यास जंघाओं और नितम्बों की अतिरिक्त वसा को कम करता है। वक्षस्थल का आकार विकसित होता है, जिससे शरीर में प्राणशक्ति बढ़ती है और रक्त शुद्ध होकर शरीर में स्फूर्ति आती है।
शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
अभ्यासी का शरीर वज्र के समान सदृढ बनता है, जिससे सर्दी - गर्मी, भुख - प्यास, सुख - दुःख आदी द्वंद्व को सहन करने की योग्यता विकसित होती है।
विशेषत् इसका प्रभाव मांसपेशियों पर अधिक पड़ता है।
मासिक धर्म को नियमित करता है।
भय का भाव दुर होकर आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
मानसिक दृढ इच्छाशक्ति बढ़ती है जो ध्येय की प्राप्ति मैं अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यह संतुलन आसन का एक प्रकार है जो विद्यार्थीयों की एकाग्रता विकसित करने में सहायक है।
शक्ति का उध्र्वगमन होने लगता है जो ब्रम्हतत्व को प्राप्ति में सहायक है।
शक्ती केन्द्रो पर विशेष प्रभाव डालता है।
सावधानियां
संधिवात रोगी , जोड़ों में दर्द, कमर दर्द, शल्यक्रिया या अंगप्रत्यारोपन , ग्रीवाशूल आदी परिस्थितियों में अभ्यास निषेध है।
आयु की अवस्था वो शारीरिक क्षमतानुसार ही अभ्यास करें।
प्रकार एक व दो होने पर ही प्रकार तीन का अभ्यास करें।
वीरभद्रासन 3 क्या है
वीरभद्रासन 3 एक एडवांस लेवल स्टेंडींग आसन है। यह क्लोज्ड हीप वाले केटेगरी में आता है। साथ ही यह संतुलन वाला आसन है।
वीरभद्रासन 3 कैसे करें।
- इसको करने के लिए पहले सीधे खड़े हो जाएं।
- फिर बांते हाथ के दायरे हाथ में मिला दें।
- अब अपने बाएं पैर को एक कदम पीछे ले जाएं।
- अब सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को उपर स्ट्रेस करते हैं।
- अब हम सांस छोड़ते हुए बाएं पैर को उपर उठाकर आगे की ओर इस तरह झुकते हैं और हमारा पुरा शरीर, दोनों हाथ, सिर पीठ, कमर, बाया पैर एक लाइन में आ जाए।
- अब सांस लेते हुए वापस आ जाते हैं और सांस छोड़ते हुए अपने दोनों हाथों को वापस लाते हैं, और पैर को आगे लेकर आएंगे और बाईं तरफ की भी क्रम पूरा करें।
इसका अभ्यास दोनों तरफ से दो - दो, चार - चार बार तक किया जा सकता है और सामान्य रूप से 15 से लेकर 50 सेकंड तक स्थिर रखा जा सकता है। इसके अभ्यास से पहले ताड़ासन का अभ्यास करें और इसके अभ्यास के बाद वृक्षासन का अभ्यास करें। इस क्रम में यदि अभ्यास किया जाए तो ज्यादा लाभप्रद होता है।
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लाभ
यह आपकी पैर की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
पेट और पाचन तंत्र के लिए बहुत अच्छा है।
इसे करने से शरीर में गर्मी पैदा होती है, जिससे वजन कम करने का बहुत अच्छा उपाय है।
सावधानियां
गर्भावस्था या मासिक धर्म वाली महिलाओं को इस मुद्रा को नहीं करना चाहिए। उच्च रक्तचाप वालों को इस आसन को नहीं करें। पैरौ और पीठ की पुरानी चोट , कंधे की चोट वाले इस आसन को ना करें।
निष्कर्ष
मैं आशा करता हूं कि वीरभद्रासन कैसे करें और ईसके लाभ , ये आपके समझ में आ गया होगा। अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी है तो इसे अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें।