आज से हजारों वर्षों पूर्व भारतवर्ष के कई ऋषि मुनियों ने अपने शरीर की प्राणवायु की शक्तियो को जाना, पहचाना एवं इनको लिपीबद्ध किया, जो की बाद में प्राणायाम के रुप में हमारे सामने प्रस्तुत हुए। प्राणायाम मुख्यत दो शब्दो से बना है, प्राण + आयाम। प्राण का अर्थ हमारे जीवन शक्ति से होता है और आयाम का अर्थ निरंतरता का, अर्थात अनुशासनता का। हम जब हमारी प्राणवायु कौन अनुशासित कर लेते हैं, उसकी निरंतरता को बना लेते हैं तो हम अपनी उम्र को भी बढ़ा लेते है।
प्राणायाम मुख्यत पुरक, रेचक और कुम्भक पर आधारित होता है। पुरक अर्थात श्वास लेना, रेचक मतलब श्वास छोड़ना और कुम्भक अर्थात श्वास को रोके रखना।
प्राणायाम के प्रकार और लाभ
1.,अनुलोम विलोम - इसको करने के लिए