योग हमारे प्राचीन संतों और ऋषियों द्वारा दिया हुआ ऐसा वरदान है जिसके नियमित और नियम पुर्वा अभ्यास से न केवल हम अपने तन और मन को स्वस्थ , निरोग और बलवान बना सकते हैं बल्कि सौ साल की जिंदगी भी सफलता पुर्वक जी सकते हैं।
योग की शुरुआत कैसे हुई
योग का उल्लेख प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में मिलता है। योग की शुरुआत भगवान शिव ने की थी। भगवान शिव को ही आदी योगी माना जाता है और उन्हें योग का संस्थापक भी माना जाता है। वह सभी समस्त योगीयो और योग विद्याओ के प्रथम शिक्षक थे। भगवान शिव कैलाश पर्वत पर एकांत में योग साधना किया करते थे और योग के द्वारा उन्होंने अपने इंन्द्रियो को नियंत्रण में भी कर लिया था। शास्त्रों में ऐसा कहा गया है की भगवान शिव ने योग और साधना का सबसे पहला ज्ञान अपनी पत्नी यानी माता पार्वती को विवाह के पश्चात दिया था।
जब भगवान शिव ने योग के रहस्य अपनी पत्नी को दिए तो वे आदि गुरु हो गए। मात पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने योग की शिक्षा सर्वप्रथम केदारनाथ मे सप्तऋषियों को कांती सरोवर के किनारे दी और वह रात जिस उन्होंने यह शिक्षा दी वह भगवान शिव की वैवाहिक वर्षगांठ थी जिसे महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। तो इस तरह से हम मान सकते हैं कि असली योग दिवस महाशिवरात्रि है। इसके बाद भगवान शिव ने योग की शिक्षा भगवान परशुराम को दी। भगवान शिव ने परशुरामजी को योग, अस्त्र, शस्त्र, विद्या, मल विद्या तप आदी की शिक्षा दी।
तत्पश्चात सप्तऋषियों ने योग की शिक्षा ऋषीयो और भगवान परशुराम ने भिष्म पितामह और कर्म को दी। महर्षि पतंजलि ने अनेकों योगासनो का अपने पुस्तकों में संकलन भी किया है। महर्षि पतंजलि को ही योग का भारत में संस्थापक माना जाता है।
योग करने से हमे क्या मिलता है
अधिकांश लोगो को यही लगता है कि योग एक व्यायाम है। लेकिन ये सच नहीं है। योग हमारे शरीर के अलावा हमारे दिमाग पर भी असर डालता है। हमारे दिमाग के दो हिस्से होते हैं। एक ग्रे पदार्थ से बना होता है और दूसरा सफेद पदार्थ से बना होता है। वैसे तो ये ग्रे पदार्थ खुन की आवाजाही के वजह से गुलाबी होता है, लेकिन मनुष्य के मरने के बाद ये ग्रे दिखाई देता है। ये ग्रे पदार्थ हमारे दिमाग का 60% हिस्सा होता है और सफेद पदार्थ सिर्फ 40% ।
ये ग्रे पदार्थ हमारे की अहम कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है। जैसे की याद्दाश्त, सोचने और समझने की क्षमता, छुने, चखने, सुंघने और देखने की संवेदनाओ को पहचानने, मांसपेशियों पर नियंत्रण और खुद के बारे में सजगता और जबकि सफेद पदार्थ हमारे दिमाग के बाकी हिस्सों से सम्पर्क बनाने का काम करता है। रिसर्च से पता चला है कि ग्रे पदार्थ योग हमारे दिमाग का ग्रे पदार्थ बढ़ाने में मदद करता है। ये हिप्पोकैंपस और दिमाग को आगे वाले हिस्से का ग्रे मेटा वाला आकार बढ़ाता है। ग्रे मेटा का आकार ज्यादा होने से दिमाग में ग्रे मेटा की कोशिकाएं ज्यादा होती है।
इससे ध्यान करने और एकाग्रता की क्षमता बढ़ती है और साथ ही निर्णय लेने की क्षमता , चेतना और सजगता में बढ़ोत्तरी होती है। इसके अलावा योग करने से मेंटल हेल्थ दुरस्त रखने में मदद करती है।
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योग के बारे में क्या सही है
योग के प्रति समाज में कई भ्रांतियां फैल चुकी है।
1. योग अभ्यास हिन्दू धर्म के साथ जुड़ा हुआ है या योग को हिन्दू धर्म, सनातन धर्म के साथ जोड़कर देखा जाता है - परंतु वास्तविकता यह है कि योग किसी भी धर्म, समाज, सम्प्रदाय या किसी व्यक्ति विशेष या जाती विशेष के साथ नहीं जुड़ा हुआ है। यह तो मनुष्य होने की एक उच्चतम अवस्था या उच्चतम श्रेणी है।
2. योग केवल रोगीयो के लिए है - वास्तव में योगाभ्यास जीवन जीने की कला है। योग अभ्यास से बिमारिया, कष्ट , रोग आदि व्याधिया, शारीरिक और मानसिक पीड़ाएं भी दुर होती है। परंतु योग से केवल रोग, बिमारी दुर होती है ऐसा नहीं है।
3. योग केवल साधु संतों के लिए है - योग अभ्यास करके कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में सात्विकता ला सकता है और स्वयं को सद्मार्ग पर ला सकता है।
4. योग मार्ग पर चलने के लिए घर, परिवार, धन, दौलत आदि चीजों का त्याग करना होता है - परंतु ऐसा नहीं है, आप अपने घर , परिवार में रहकर योग अभ्यास, योग साधना कर सकते हैं। जैसा जिसका सामर्थ्य हो ।
5. योग का अर्थ व्यायाम समझा जाता है या योग को केवल व्यायाम माना जाता है - परंतु शारीरिक व्यायाम केवल रोग अभ्यास का एक अंग है। जिससे आप पहले आप शारीरिक रूप से स्वस्थ हो जाए उसके बाद उसके आगे की यात्रा तय कर पाए। यद्यपि कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से अस्वस्थ है। तो वह सद्मार्ग पर चलने के लिए या योग के आगे के अभ्यास में उसको कोई बाधा या पिडा उत्पन्न ना हो उसके मार्ग या रास्ते में कोई रुकावट ना आए। क्योंकि सबसे पहला धन निरोगी काया या जो भी साधना या पाठ आराधना हम करें वह इस शरीर के माध्यम से ही करेंगे। क्योंकि शरीर अस्वस्थ है तो वह कार्य करने में भी बाधा उत्पन्न होंगी। इसलिए व्यायाम, आसन आदि के द्वारा शारीरिक रूप से स्वस्थ हो और उसके बाद आगे की यात्रा तय करें।
6. योग अभ्यास कोई जादू दोना या चमत्कार हैं - योग अभ्यास करने वाले व्यक्ति के चित्त पर, मन पर शारीरिक मानसिक स्तर पर उसके स्वभाव में, उसके भोजन में, उसकी भाषा में, उसकी वाणी में, उसके पुरे जीवन चरित्र में इस प्रकार के सकारात्मक परिवर्तन उत्पन्न होते हैं जो किसी जादू से या चमत्कार से कम नहीं होते हैं और इतने सात्विक परिवर्तन देखने को मिलते हैं। कइ बार जादू - टोने, चमत्कार जैसा आभास होता है। परन्तु इसमें कोई छिपा हुआ चमत्कार नहीं है।
योगाभ्यास के लाभ कौनसे हैं
1. शरीर स्वस्थ रहता है और स्फुर्ति बनी रहती है। थकावट और चिंता से छुटकारा मिलता है।
2. मोटे तौर पतले दोनों तरह के लोगों के लिए योग फायदे मंद है। योग से मांसपेशियों को पुष्टता मिलती है। दुबले से दुबला व्यक्ति भी बलवान बन सकता है।
3. रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर में विभिन्न तरह के विषाणु से लडने की क्षमता में सक्षम बन सकता है।
4. योग रक्त शर्करा का स्तर कम होता है और ये बॕड कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है।
5. कुछ योगासनों, प्राणायामो और मेडिटेशन के द्वारा अर्थराइटिस, बेकपेन आदि दर्द में भी काफी सुधार होता है।
6. योग से फेफड़ों की आक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता बढ जाती है जिससे शरीर की कोशिकाओं को आक्सीजन मिलती है, जिसका पुरे शरीर पर सकारात्मक असर पड़ता है।
7. नियमित प्राणायाम से सांसो से संबंधित लोगों में बहुत फायदा होता है। दया, एलर्जी, सायनोसायटिस, पुराना नजला, जुकाम आदि लोगों मे तो प्राणायाम बहुत फायदेमंद है।
8. योग पाचनतंत्र को बेहतर करता है जिससे कब्ज़, गैस और एसीडिटी जैसी संमस्या जड़ से खत्म हो सकती है।
9. योग से माइग्रेन का मरीजो को भी राहत मिल सकती है क्योंकि योग मांसपेशियों में आए खिंचाव को कम करता है और सिर तक पर्याप्त मात्रा रक्त को पहुंचाता है।
10. कइ योगासनों के जरिए स्त्रियो और पुरुषों के प्रजनन की दिक्कतो को भी दुर किया जा सकता है। इससे शुक्राणुओं के कम बनने की समस्या , फेलोपियन ट्यूब में आई रूकावट या फिर PCOD समस्या को दूर किया जा सकता है।
11. मन तनाव मुक्त रहता है - प्रतिदिन ध्यान ( मेडिटेशन ) करने से तनाव चिंता डिप्रेशन और अनिद्रा जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
12. सौंदर्य निखरता है - योग से बाहरी त्वचा को रक्त संचार में बढ़ोत्तरी होती है। त्वचा को पर्याप्त पोषण मिलता है, त्वचा को पर्याप्त पोषण मिलता है। त्वचा में मौजूद विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं जिससे त्वचा में रंगत आती है।
13. योग से बालों के कोशिकाओं और सिर की खाल में रक्त संचार और आक्सीजन को बढ़ावा देने में मदद मिलती है जिससे बालों की सौंदर्य में वृद्धि होती है।
14. योग से समय से पुर्व बढ़ावा रूकता है, क्योंकि इससे न केवल शारीरिक सदृढता प्राप्त होती है बल्कि मोटापा कम होता है।रिढ की हड्डी और जोड़ों में लचीलापन आता है। मांसपेशिया मजबूत होती है। रक्त संचार में सुधार होता है और मन में उत्साह और प्राणशक्ति का संचार होता है।
15. नियमित योग करने से दिमाग तेज होता है, एकाग्रता भी बेहतर होती है, जिससे स्मरण शक्ति में भी सुधार आता है।
योग चित्तवृत्ति निरोधः किसके द्वारा कहा गया है
योग चित्तवृत्ति निरोधः यह महर्षि पतंजलि द्वारा अपने योग शास्त्र में लिखा है।
निष्कर्ष
अनेक प्रकार की योगाभ्यास के बारे में भ्रांतियां अज्ञान के कारण, अविवेक के कारण, पुरी जानकारी न होने के कारण फैलाई जाती रही है और आने वाले समय में भी फैलाई जाती रहेंगी। परंतु आप प्रयास करेगी इन प्रकार की भ्रांतियां से, अफवाहों से बचें और किसी भी चीज के बारे में आप पढ़ें, सुनें पहले उसकी पुष्टि करें और उसके बाद उसको अपने जीवन में उतारें।