ध्यान करने का महत्व लगभग सभी धर्मों में बताया गया है। विशेषतः सनातन और बौद्ध धर्म में ध्यान का विशेष महत्व बताया गया है। कलयुग में मानसिक शांति और परमेश्वर प्राप्ती एकमेव मार्ग ध्यान ही है। ध्यान यानी मेडिटेशन एक ऐसा रास्ता है जो हमारे जीवन को और बेहतर बनाने में हमारी मदद करता है। यह न केवल हमारी मानसिक शांति को बनाए रखने में योगदान देता है बल्कि यह हमारे जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करने में भी भुमिका निभाता है। ध्यान करने से व्यक्ति परमेश्वरी शक्ति को जागृत कर शारीरिक रोगों से भी मुक्ति पा सकता है। परमेश्वरी प्रेम की शक्ति हर व्यक्ति में जन्म से ही स्थित होती है। हमारे शास्त्रों में इस शक्ती को सर्प शक्ति या कुंडलिनी शक्ति भी कहा गया है।
ध्यान क्या है
ध्यान या मेडिटेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जो आपके गतिशील मन और इच्छाओं पर नियंत्रण करना सिखाती है, और साथ ही व्यक्ति के अन्दर की असीम शक्तीयो को पहचानने मदत कराती है। वैज्ञानिक को मानना है कि एक साधारण व्यक्ति अपने मस्तिष्क का केवल 10% ही उपयोग करता है। अपने मस्तिष्क का पुरा उपयोग करने के लिए ध्यान आवश्यक है। इस बात को वैज्ञानिक भी मानते हैं कि ध्यान करने से शरीर में एकाग्रता और सकारात्मकता का विकास होता है। ध्यान से चिंता, मानसिक तनाव कम होने के साथ ही सोचने की क्षमता में बढ़ोतरी भी होती है।
घर पर ध्यान कैसे करे
1. उचित समय का चुनाव - ध्यान करने के लिए सबसे पहले एक उचित समय का निर्धारण करें। हमारे शास्त्रों के अनुसार ध्यान करने के लिए प्रातः ब्रह्म मुहूर्त का समय सर्वश्रेष्ठ होता है। ब्रम्ह मुहूर्त का समय सुबह चार से साढ़े पांच बजे के बिच का होता है।
2. जगह का चुनाव - ब्रम्ह मुहूर्त में उठने के बाद आपको घर के शांत कोने में जाकर बैठना है। वैसे तो ध्यान के लिए कोई विशिष्ट नियम नहीं है, लेकिन जमीन पर बैठकर ध्यान करना ज्यादा उचित रहता है। जमीन पर बैठने से धरती माता का आर्शीवाद प्राप्त होता है।
3. आसन का चुनाव - इसलिए जमीन पर साधारण अवस्था में बैठकर पैरों को मोड़कर सुखासन में बैठ जाएं। इसके बाद अपने दोनों हाथों को ध्यान की मुद्रा में अपने गोद में रखे। आप अपने हाथों को बिना किसी मुद्रा बनाए खुला भी रख सकते हैं।
4. सांसों पर ध्यान दें - धीरे धीरे अपनी आंखो को बंद करें। चार से पांच बार गहरी सांसें ले, अपनी चिंत्त को सांसों पर लगाए रखिए। इसके बाद आपको सामान्य गति से श्वासोच्छवास करते रहे। अपने चित्त को सांसों पर ही बनाए रखना है।
5. विचारों पर नियंत्रण - ध्यान का एकमात्र उद्देश्य यही है कि आपको अपने विचारों को रोककर निर्विकारीता प्राप्त करनी है। यह बात भी सत्य है कि विचार करना एक नैसर्गिक प्रक्रिया है, और आप अपने विचारों को पुरी तरह रोक नहीं सकते, लेकिन दो विचारों में जो गॕप होता है आपको उसे बढ़ाना है। दो विचारों में आने वाले इस समय को विलम्ब कहा जाता है। ध्यान के माध्यम से आपको इसी समय को बढ़ाते जाना है।
निष्कर्ष
अगर आप हर दिन इसी तरह ध्यान करेंगे तो आप पाएंगे कि आपके शरीर में संतुलन निर्माण हो रहा है। शरीर में संतुलन निर्माण होने पर मानसिक और शारीरिक दोनों बिमारिया समाप्त हो जाती है। नित्य ध्यान करने वाला व्यक्ति एक संतुलित और स्वस्थ जीवन जीता है। मैं आशा करता हूं कि घर पर ध्यान कैसे करे, की आसान विधि आपके समझ में आ गई होंगी। अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी है तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे।