साक्षी ध्यान क्या है
माइंडफुलनेस है वर्तमान में जीना, अभी और यहीं। हमारा मन जो चारो तरफ भागता है उसे वर्तमान क्षण मे ले आना है। इसका सबसे आसान तरीका है अपने शरीर के प्रति साक्षी भाव। ये साक्षी भाव हमें युही ही नहीं मिल जाता। ये थोड़ा मुश्किल तो जरूर है मगर अभ्यास से ये हो जाता है। क्योंकि ये हमारा स्वभाव है। छोटे बच्चे, जानवर और पौधे पुरी तरह से वर्तमान क्षण में जीते है। एक मधुमक्खी एक फुल वर्तमान क्षण में पुरी तरह से जीना जानते हैं। इसलिए वो बहुत सुन्दर, मासुम और ताजा दिखाई पड़ते हैं। उनमें आपको कोई हेंगओवर मिलेंगा। ना अतित का नाम भविष्य का। वे कालातीत में रहते हैं।
उनके लिए ये जो कल है यही सब कुछ है। यही उनका जिवन है इससे ही वे जीते हैं। उनकी जीवनशैली है जो प्रकृति ने उन्हें दी है। इससे पता चलता है कि वर्तमान में जीवन का महा नियम है। यहां यह जानना जरूरी है कि आप आपका शरीर नहीं है। अपने शरीर को एक दुरी से देखिए मन की आंखों से, जैसे आप दसरो के शरीर को देखते हैं। यही माइंडफुलनेस है।
साक्षी भाव मेडिटेशन कैसे करे
साक्षी भाव मेडिटेशन को करने के लिए किसी विशेष वस्तु की जरूरत नहीं पडती। बस आपको एक शांत जगह चाहिए। जहा आप आराम से बैठ सके। इस करनै के लिए आपको सीधे बैठना है। जिससे आपकी पीठ, गला, सिर, रीढ बिल्कुल सीधे रहे। आपको अकडकर बैठने की जरूरत नहीं है। सीधै बैठे लेकिन रीलेक्स रहे। शुरुआत में कम से कम पांच मिनट करें। बाद में इसे लाभ मिलने पर ध्यान का समय बढ़ाए।
1. सर्वप्रथम अपने ध्यान को सुनने पर लगाओ। अपने आसपास से आ रही आवाजो पर ध्यान लगाओ। अब देखो कौन कौन सी आवाज आ रही है। कौन सी आवाज लगातार आ रही है और कौन सी रूक रूककर आ रही है। इस बिच अगर आपका ध्यान भटकता है तो उसे तुरंत आवाज पर लाइए। धीरे धीरे अभ्यास के बाद आप ध्यान केंद्रित करना सिख जाएंगे।
2. अपने अंदर चल रहे विचारों पर ध्यान दिजिए। मन चंचल है, मन में हजारों विचार आते जाते रहते हैं। इन्हें महसूस करें। उन्हें रोकने का प्रयास भी ना करें। केवल विचारों पर ध्यान रखें। ध्यान इधर उधर जाने पर उसे तुरंत अपने विचारों पर लाए और उन्हें महसूस करते रहे। मन में किसी विचार पर नहीं उलझे ।
अगर ऐसा हो तो किसी शांत स्थान में आंखें बंद करके एक गहरी सांस लें। अपने ध्यान को सांस लेने की पुरी प्रक्रिया अनुभव करने पर लगाए। देखें की हवा कैसे धीरे धीरे आपके नाक से अंदर आ रही है। हवा का नाक में प्रवेश करने के अहसास को महसूस करें। हवा भरने से फेफड़े और पेट फुलने का अहसास और सांस छोड़ने पर फेफड़ों की खाली होने क अहसास को महसूस करें। हर सांस की गति और लय देंखे।
आप पाएंगे कि हर सांस की गहराई में कुछ अंतर होता है। सांस को इस तरह से निरीक्षण करने से सांसें गहरी होती जाती है। गहरी सांस शरीर में ज्यादा आक्सीजन मात्रा बढ़ाती है जिससे नई उर्जा फोकस करने की क्षमता बढ़ती है। गहरी सांस लेने से विचार गति भी धीमी पड़ जाती है। जब हम नियमित रूप से इस प्रकार सांस पर माइंडफुल मेडिटेशन करते हैं तो शरीर में कई सकारात्मक, मानसिक बदलाव आने लगते हैं। लगातार अभ्यास के बाद मन में आने वाले विचार स्थित हो जाएंगे।
3. शरीर की इंन्द्रियो के अनुभव को महसूस करो हम अपने मन कै किसी भी भाव को देख सकते हैं। हमें देखना है कि मन उठ रहे भाव को किस श्रेणी में रखना है। जो भी भाव उठे उस एक नाम दे। उस भाव की उपस्थिति को स्वीकार करें और उस मन से निकल जाने दे। उस भाव से खुद को जोड़कर ना देंखै। मन के भाव हमेशा बदलते रहते हैं। मन के भाव हमारे दिमाग के बस में होते हैं। हमें यह मानना होंगा तभु हम धीरे धीरे भावों के बंधन से मुक्त होकर शांति को प्राप्त कर पाएंगे।
साक्षी भाव मेडिटेशन के लाभ
1. तनाव से मुक्ति - माइंडफुलनेस से तनाव से मुक्ति मिलती है।
2.याद करने के शक्ति में इजाफा होता है।
3., एकाग्रता बढ़ती है।
4./भावनात्मक स्थिरता होती है।
5. शांति और खुशी का अहसास बढ़ता है।
6. हाइपर एक्टिविटी कम होती है।
7. गुस्सा पर नियंत्रण होता है।
8. एक दुसरे को समझने की क्षमता बढ़ती है।
9. फैसला लेने की क्षमता में वृद्धि होती है।
10 नींद अच्छी आती है।
निष्कर्ष
माइंडफुल मेडिटेशन अपने आसपास के प्रति चेतना जागृत करने की एक सरल विधि है। अपने मन के विचारों को नियंत्रित करने की एक विधि है। जब आप निरंतर माईंडफुल मेडिटेशन करते हो तो एक दिन आप पाएंगे कि आपका मन बिलकुल शांत है। आपके मन से डर निकलकर दुर जा चुका है।
मैं आशा करता हूं कि साक्षी ध्यान क्या है? साक्षी ध्यान कैसे करें ये आप समझ गए होंगे। अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी है तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे।