मंत्र ध्यान क्या है
साधारणतया हम ध्यान करते हैं अपने मन को नियंत्रण में करने के लिए, उसे वश में करने के लिए, ताकी ये शांत हो , शुद्ध हो, एकाग्र और स्थिर चित्त हो और ये ध्यान किया जाता है सांसों पर, मोमबत्ती पर, प्रकाश पर या फिर हमारे शरीर में मौजूद चक्रों पर, इस विशाल ब्रम्हांड पर या फिर कभी कभी मौन पर, जिससे उपरोक्त सारे लाभ मिलते हैं। और ध्यान की यही प्रक्रिया जब पुरी तरह से अनन्य रूप से केवल भगवान के पवित्र नामों पर एकाग्र करके की जाती है, उसे मंत्र ध्यान कहते हैं।
मंत्र क्या है
मंत्र का एक साधारण अर्थ होता है जो मन के अन्तर में समाहित हो जाए। ये जो हमारे भीतर समाहित हो वो मंत्र है। ये अत्यंत साधारण परीभाषा है मंत्र की। मंत्र का अर्थ बेहद व्यापख और बहुत बड़ा गंभीर है। लेकिन एक साधारण व्यक्ति को समझने के लिए की सबसे पहले मंत्र की उत्पत्ति कैसे हुई हैं,तो इसके संबंध में आगम निगम ग्रंथ में बताते हैं जब ये ब्रम्हांड उत्पन्न हुआ, इस ब्रम्हांड के साथ ही नांद उत्पन्न हुआ। तो इस ब्रम्हांड का सर्वप्रथम और पहला नांद है वो है ॐकार। और वही ॐकार जब शब्द रुप में ब्रम्हांड में रहता है तो वहीं ॐकार हमारे भीतर भी अनाहत नाद के रूप में स्थापित होता है। इसी ॐकार से समस्त ब्रह्माण्ड जुड़ा हुआ है।
इसीलिए कहा " शब्द ब्रम्हा " अर्थात शब्द ही ब्रह्म है। इसी शब्द की महिमा का विस्तार भगवान देवाधिदेव महादेव ने किया, जब उन्होंने आगम निगम मां पार्वती को समझाते हुए और ऋषि मुनियों को ये ज्ञान दिया तो ये बताया की यही जो दिव्य ज्ञान है ॐकार नांद का उसके भीतर ओर बहुत सारे नांद छिपे हुए हैं। यदि आप अपने भीतर के समस्त चक्रों को देंखे, अपने भीतर के अध्यात्म की यात्रा करें , या फिर आप वही जगत के समस्त इन शोरगुल, ध्वनि सब तत्वों को सुनें और उनका वर्गीकरण करें तो वे 51 प्रमुख वर्गीकरणो में विभक्त हो जाते हैं।
इसलिए योगीयोने सहस्त्रार कमलदल मस्तिष्क में 51 बिन्दुओं की स्थापना की, और हरएक बिन्दु का विशेष बिज मंत्र अर्थात विशेष प्रकार की ध्वनि । इसी तरह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के भी आप 51भागो में बांट दें तो सबका एक विशेष ध्वनि से लेना देना है। और वो ध्वनि एक विशेष प्रकार की उर्जा को प्रभावित करते हैं। इसलिए ये मंत्र बहुत रहस्यमय हो गए। लेकिन मंत्र का ये जो क्षेत्र है जो परिभाषा बहुत छोटी सी है। लोग कहते हैं कि मंत्र का अर्थ है एक ऐसा शब्द जो प्रभाव उत्पन्न कर सके। मन के अन्दर से जो उर्जा बाहरी जगत में ले आए उसे प्रस्फुलित करें, उस शब्द के व्दारा जो ध्वनि जुड़ी हुई है वहीं वास्तव में मंत्र है।
मंत्र ध्यान कैसे करे
1. मंत्र का जाप मानसिक होना चाहिए।आपके होंठ सांसें किसी में भी कोई ध्वनि नहीं होनी चाहिए। मतलब शरीर में किसी तरह की कोई तरंगें नहीं होनी चाहिए। जो भी मंत्र का जाप आप करेंगे वो पुर्ण रूप में मानसिक होना चाहिए।
2. जो भी मंत्र को आप जपेंगे उसके प्रति आपके भाव अधिक प्रगाढ़ होना चाहिएं। आपके भाव अधिक मजबूत होना चाहिए, उस ईष्ट के प्रति, उन गुरु के प्रति आपकी श्रद्धा बहुत ज्यादा होनी चाहिए। तभी वो मंत्र ध्यान में आपको काफी प्रभाव देखा।
3. आपको जब ध्यान शुरू करना है तो उस मंत्र का मानसिक जाप करते हूं आप ध्यान कर सकते हैं और ध्यान को आगे बढ़ाएंगे स्थिरता के साथ। वहां आपके होंठ भी फड़फड़ाने नहीं चाहिए। आंखों की पुतली या इतने आराम से बंद होनी चाहिए की उसमै कोई भी प्रेशर ना हो।
4. जप आप ध्यान की एक अच्छी अवस्था में प्रवेश करेंगे। जहां पर आपको आनंद आने लगेगा वहां पर आपको मंत्र को छोड़ देना है। अगर आपने मंत्र को नहीं छोड़ा तो आप ध्यान में प्रवेश नहीं कर पाएंगे और अच्छे ध्यानी साधक जो मंत्र जाप से भी ध्यान शुरू करते हैं। ध्यान की एक उच्चतम स्थिति पे, एक आनंददाई स्थिति पे ध्यान में वो मंत्र को छोड़ देते हैं। तो ध्यान को वो स्थिति आने लगेंगी मंत्र का जाप स्वतः बंद हो जाएगा और आप ध्यान में प्रवेश कर जाएंगे।
मंत्र जाप के संभावित लाभ।
आप एक मंत्र का कई तरह से जाप कर सकते हैं और
कोई एक सही तरीका नहीं है चाहे आप मंत्र ध्यान का अभ्यास करें या किसी अन्य शैली में,
- आप अक्सर आत्म-जागरूकता सहित कई समान लाभ देखेंगे।
- तनाव कम करता है।।
- शांति की एक बड़ी भावना ने आत्म-करुणा को बढ़ाता है।।अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण कुछ अतिरिक्त मंत्र ध्यान के लाभों में सांस दोहराने पर बेहतर नियंत्रण शामिल है।
- मंत्र ध्यान करते समय आपको एक प्राकृतिक श्वास ताल खोजने में भी मदद मिल सकती है।
- ध्यानपूर्वक साँस लेने के व्यायाम के अभ्यस्त होने में कुछ समय लग सकता है।
- अपनी सांस को अपने मंत्र से मिलाने से यह प्रक्रिया आसान हो सकती है और आपको एक ही समय में अधिक ध्यान केंद्रित करने में अधिक आराम महसूस करने में मदद करता है।
- मंत्र ध्यान हर किसी के लिए आसानी से नहीं आता है और बहुत से लोग पाते हैं कि ध्यान केंद्रित करने में समय और अभ्यास लगता है।
- एक मंत्र भटकते विचारों को कम करके इसे आसान बना सकता है।
- यदि आप किसी मंत्र को अपने सिर में या जोर से दोहरा रहे हैं तो वह मंत्र व्याप्त है।
- आपकी जागरूकता और इसे अन्य दिशाओं में बहने से रोकने में मदद करती है।
- यह विशेष रूप से सहायक हो सकता है यदि आपका मन ध्यान करने की कोशिश करते समय बहुत अधिक भटकता है। 2012 के एक छोटे से अध्ययन के अनुसार मंत्र ध्यान मस्तिष्क बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
- क्रेओ कर्टिन ध्यान के आठ सप्ताह बाद स्मृति समस्याओं का अनुभव करने वाले 15 बड़े वयस्क के मस्तिष्क के सेरेब्रल में रक्त प्रवाह और संज्ञानात्मक कार्य के स्वास्थ्य में वृद्धि देखी गई।
- ये मस्तिष्क परिवर्तन जो प्रकट होते हैं, मूड और कल्याण में सुधार कर सकते हैं, चिंता कम कर सकते हैं, कम थकान से स्थानिक और मौखिक स्मृति में सुधार हो सकता है।
- कुछ मंत्र इन परिवर्तनों को उत्तेजित कर सकते हैं क्योंकि जप से के बाएँ और दाएँ पक्षों को सिंक्रनाइज़ करने में मदद मिल सकती है।
- मस्तिष्क और आराम, मस्तिष्क तरंगों को बढ़ावा देना। यह सिंक्रनाइज़ेशन समय के साथ मस्तिष्क के कार्य को बेहतर बनाने और संभवतः धीमी गति से संज्ञानात्मक गिरावट में मदद कर सकता है।
निष्कर्ष
जब हमारा मन मंत्रों की तेज धुप में आता है तो उसके उपर जमी सारी गंदगी साफ हो जाती है। और वही मन जो आत्मा को विचलित कर रहा था, अब आध्यात्मिक दुनिया की यात्रा पर उसका सबसे अच्छा दोस्त बन जाता है। मैं आशा करता हूं कि मंत्र ध्यान क्या है, और ध्यान के लाभ आपको समझ में आ गया होगा। अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे।