अनाहत चक्र क्या है
इस चक्र का स्थान हृदय होता है, इसी वजह से हृदय कमल या हृदय चक्र भी कहते हैं। यहां पर अनाहत ध्वनि स्वतः ही बजने लगती है। अनाहत ध्वनि वो ध्वनि होती है जो बिना किसी प्रयास के, बिना किसी थाप के, बिना आघात के स्वतः हु उत्पन्न होती है। इसलिए इस चक्र को अनाहत चक्र कहते हैं। ध्वनि के दो ही मुल रुप होते हैं, एक होता है आहत और एक अनाहत। आहत किसी प्रकार के आघात या छेड़छाड़ से उत्पन्न होता है और अनाहत स्वतः ही युक्त है इसलिए इसका नाम अनाहत है, क्योंकि यहां अनाहत ध्वनि बजती है। अनाहत चक्र अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि ये नीचे के तिन चक्र और उपर कै तिन चक्रों के बिच में है और उनमें संतुलन बनाके रखता है।
इसके अलावा इस चक्र में एक कमल है जिसका नाम हरीतपुंडरीका है। इसमें योगी अपने ईष्ट देव का ध्यान करते हैं। शब्द ब्रह्म कहलाने वाले सदाशिव इसमें विराजमान रहते हैं। क्योंकि इस स्थान से उत्पन्न होने वाली ध्वनि है वो त्रिगुण में ॐ है, वो सदाशिव है। पंचमहाभूतों में यह चक्र वायुतत्व का प्रतिनिधित्व करता है। वायुतत्व का इसमें प्रधान गुण है। वायु का ज्ञान है। इसी कारण इस चक्र की ज्ञानेन्द्रिय त्वचा और कर्मेंद्रियां हाथ है। नाक और मुंह से प्रवेश कर समस्त शरीर में विचरने वाली जीवन के लिए परम आवश्यक प्राणवायु के ये चक्र का यह मुख्य स्थान है।
इस चक्र लोक महालोक या महतलोक है। जो अन्तःकरण का जो मुख्य स्थान होता है । इस चक्र के अधिपति इशानदेव है और देवी शक्ति काकिनी है। इस चक्र का यंत्र षटकोण आकार का है और रंग सिंदुरी है। इसमें बारह पंखुड़ियां होती है। कं, खं, गं,घं, डं, चं,छं, जं, झं, डं, टं तथा ठं। ये बारह अक्षर, बारह पंखुड़ियों की ध्वनियों को दर्शाते हैं। इसका बिज मंत्र " यं " है। इस बिज का वाहन मृग है, जो इस चक्र की तिरछी बिज गति को स्पष्ट करता है। इस चक्र पर ध्यान के समय अंगुठे को तर्जनी अंगुली के सिरे को दबाया जाता है। इस चक्र में अधोमुखी और एक अर्धिमुखी त्रिकोण सम्मिलित है। जो क्रमशः शक्ति और शैव इन मान्यताओं का प्रतीक है।
चंचलता, भटकाव, चेष्टा, लोभ, आशा, निराशा, चिंता, कपट अज्ञानता, अविवेकता, भ्रम, दृढ़ता, जिद्दीपना, संवेदनशीलता, उत्साह ये सब इस चक्र के गुण है।
अनाहत चक्र कैसे जागृत करें
अनाहत चक्र जागृत करने के लिए आप ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर सुखासन या पद्मासन में बैठे। अपना मुख उत्तर दिशा की ओर रखें। अपना ध्यान अनाहत चक्र पर लाए और यं मंत्र का जाप करते रहे। इससे धीरे धीरे अनाहत चक्र जागृत हो जाएंगा।
अनाहत चक्र को जागृत करने के लिए पहले तो आप सभी को हृदय से क्षमा कर दें, किसी को भी दोषी मत ठहराए। इससे आपका अनाहत चक्र जागृत होने लगेगा। सबके प्रति अच्छा भाव रखें, सबका प्रति मंगल भाव रखे।
अनाहत जागरण के लाभ
1. अनाहत चक्र जागृत होने पर व्यक्ति को बहुत सारी सिद्धियां मिलती है, जिससे व्यक्ति को ब्रम्हांडीय उर्जा से शक्ति प्राप्त होती है। ये चक्र जागृत हो जाए तो व्यक्ति शुक्ष्म रुप धारण कर सकता है और शरीर त्यागने की शक्ति प्राप्त हो जाती है।
2. इसके जागृत होने से एक अलग प्रकार का आनंद प्राप्त होता है। श्रद्धा, प्रेम जागृत होता है।
3. वायु तत्व से संबंधित सिद्धियां प्राप्त होती है।
4. संतुलित अनाहत चक्र से व्यक्ति बिना शर्त प्यार करता है, और वास्तविक करुणा तथा आत्मस्वीकृति दिखाता है। जो उन्हें दुसरो को प्यार करने और स्विकारने में सक्षम बनाता है।
5. इस चक्र के जागरण से व्यक्ति हमेशा खुश रहता है। दुसरो के दुःख, दर्द को समझता है और उनकी मदद करता है। मन प्रेम और करुणाके भाव आने लगते हैं। वह उर्जावान तथा सकारात्मक शक्ती से परिपूर्ण होता है। जीवन आनंद से भर जाता है और कोई भी स्थिति उसको दुखी नहीं कर सकती।
अपनी कल्पना शक्ति और महत्वकांक्षा पर काबू रखता है।
6. इस चक्र के जागृत होने पर कपट, हिंसा, द्वेष, चिंता और भय जैसी भावनाए दुर हो जाती है।
7. व्यक्ति के मन मे भावनात्मक संवेदनाएं जागृत हो जाती है।
8. इस चक्र जागृत होने से व्यक्ति के प्रतिभा में निखार आता है और उसे सफलता मिलती है। आप गद्य, पद्ध की रचना में समर्थ हो जाते हैं। उसमें इतना आत्मविश्वास आ जाता है कि वह किसी से भी अपनी बात कह सकता है और अच्छे से अपनी बात रख सकता है।
9. साधक को अपूर्व ज्ञान प्राप्त होता है। वह त्रिकालदर्शी होकर दुरश्रवन की शक्ति प्राप्त कर यथेच्छा आकाशगमन करता है।
10. अनाहत चक्र का जागरण होने पर भुचरी सिद्धि प्राप्त होती है।
11. जिसका अनाहत चक्र जागृत होता है उसका चित्त की एकाग्रता होती है, और चित्त की एकाग्रता होने से वो जो भी शुद्ध इच्छा करता है वह सभी इच्छाएं पूर्ण होती है।
12. अनाहत चक्र जागृत होने से व्यक्ति के अन्दर 12 गुण प्रकट होते हैं, वो गुण है आनंद, शांति, सुव्यवस्था, प्रेम, संज्ञान, स्पष्टता, शूद्धता, एकता, अनूकंपा, दयालुता, क्षमा भाव और सुनिच्श्रय।
निष्कर्ष
आशा करता हूं कि अनाहत चक्र क्या है,इसे कैसे जागृत करें, ये आपके समझ में आ गया होगा और आप इससे लाभ प्राप्त कर सकेंगे। अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी है तो इसे अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें।