विशुद्धी चक्र क्या है
हमारे शरीर स्थित 7 चक्रो में से पांचवां चक्र विशुद्धी चक्र होता है। इस चक्र का स्थान कंठ में होता है। इस चक्र का आकार वृत होता है। की प्रकार के चित्र, विचीत्र रंगों वाला यह चक्र होता है। इस चक्र की सोलह पंखुड़िया होती है। अ, आ,इ, ई, उ, ऊ, ऋ, री, र्डी,ए, ऐ,ओ, औ,अं,अः ये अक्षर पंखुड़ियों की बिज ध्वनि को प्रकट करती है। इसका बिज मंत्र " हं " है। इस तत्व बिज की गती हाथी के समान झुम झुमके होती है। इसका बिज का वाहन हाथी है। जिस पर प्रकाश देवता विराजते हैं। पंचमहाभूतों में ये आकाश तत्व का मुख्य स्थान है। इसकी ज्ञानेन्द्रिया कान है और कर्मेंद्रियां वाक् है। इस चक्र के देवता पंचमुखी सदाशिव है, जो अपनी चर्तुभुज देवी शाकीनी शक्ति के साथ विराजते हैं। यह गोल और चक्र रंगहीन है।
उपर की ओर गति करने वाले उद्यान वायु का ये चक्र मुख्य स्थान है। इस चक्र लोक जनःलोक है। इस चक्र को ब्रह्म द्वार भी कहते हैं। आर्युवेद और चिकीत्साक्षेत्र की दृष्टि से यह जो कमल शरीर है इसका चिकित्सा मे बहुत मर्म स्थान है। इस पर आघात से तत्काल मृत्यु हो जाती है।
विशुद्धी चक्र कैसे जागृत करें
विशद्धी चक्र का संबंध हमारे शरीर के साथ और हमारे मन और मनोभाव के साथ होता है। हमारे जीवन में कई ऐसी घटनाएं, कई समस्याए, कई ऐसे दुःखद अनुभव होते हैं जो हमारे भीतर ही दबे रहते हैं, जिनके कारण हम भीतर ही भीतर घुटते रहते हैं। और जब तक इन बातों का समाधान नहीं होता तब तक हमारा विशुद्धी चक्र सक्रीय नहीं हो सकता। इसलिए आप अपना भुत काल ईश्वर को समर्पित करें और वर्तमान में जीए और अपने अंदर पुर्ण समाधान की स्थिति बनाए। अर्थात अपने मन से जुड़े, अपने आपको आत्मा समझे। अपने आत्मस्वरुप में जाए और अपने आत्मा को पहचाने।
इससे आपको समाधान प्राप्त होगा और जब पुर्ण समाधान प्राप्त होगा तो स्वतः ही आपका विशुद्धी चक्र सक्रिय होने लगेगा। हम जीवन में सबके साथ रिश्ता रखते हैं लेकिन अपने खुद के साथ कोई रिश्ता नहीं रखते। अपने खुद के साथ, अपने आत्मा के साथ रिश्ता बनाओ। जब आप अपने खुद के साथ, अपने आत्मा के साथ रहोंगे तो आप जो चाहोंगे वो प्राप्त होंगा।
आप आराम से ध्यानस्थ की मुद्रा में बैठ जाएं और अपना पुरा ध्यान अपनी आती जाती सांस पर लगाए। और हर आती सांस पर ॐ मंत्र और जाती सांस पर हं मंत्र का जाप करें। इससे विशुद्धी चक्र जागृत होने लगेगा।
विशुद्धी चक्र जागृत होने के लाभ
1. जो इस चक्र को सक्रिय करता है, शक्तिशाली ज्ञान, वाणी, भूत वर्तमान और भविष्य को देखने की क्षमता प्राप्त करता है, रोग और दुख से मुक्त हो जाता है, एक लंबा जीवन प्राप्त करता है और किसी के मार्ग में किसी भी बाधा को नष्ट करने की क्षमता प्राप्त करता है।
2. यह चक्र सक्रिय होने पर मन आकाश कु भांति शुद्ध हो जाता है।
3. व्यक्ति महाज्ञानी, निर्विकार, निरोग, शांतचित्त, समदृष्टा, यात्रिकजीवी होता है।
4.त्रिकालदर्शन की सिद्धि प्राप्त होती है।
5. इसके जागरण से अणिमा और लघिमा सिद्धि प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
मैं आशा करता हूं की विशुद्धी चक्र क्या है कैसे जागृत करें, ये आपके समझ में आ गया होगा और आप इससे लाभ उठा पाएंगे। अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी है तो इसे अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें।