मणिपुर चक्र क्या है
हमारे शरीर में स्थित 7 चक्रों मे से तिहरा चक्र है मणिपुर चक्र, जीसे नाभी घक्र भी कहते हैं। मणिपुर चक्र नाभी मैं स्थित होता है। सौर स्थान से इसका सिवा संबंध है। इस चक्र का गुण अग्नि है। ये अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। मणिपुर चक्र की चक्र की ज्ञानेन्द्रिय नेत्र हैं और कर्मन्द्रिया पैर है। रुप या तेज इसका प्रधान गुण है। ज्ञान ही इसका प्रधान गुण है। ख़ान पान के रस को पुरे शरीर में वितरित करने वाला, समान वायु को पुरे शरीर में प्रवाह करने वाला मणिपुर चक्र है। ये चक्र त्रिकोण के आकार का है। इसका लाल रंग है। नीले हरे रंग से प्रकाशित इसकी पंखुड़ियां है।
इसमें दस पंखुड़ियों वाला कमल खिलता है। इसके पंखुड़ियों के अक्षर डं, ढं, तं,थं, मं, णं, दं, धं, नं, और फं है। इसका बिज मंत्र रं है। ये इसका तत्व बिज है। इसके चलने की प्रवृत्ति उछलने वाली है। इस चक्र का वाहन ( मेष ) मेंढ़ा है। इस चक्र लोक स्वहलोक है। इसका यंत्र अधोमुखी त्रिकोण है जो लाल रंग का है। इसका बिज वर्णं स्वर्णिम रंग का है। इस चक्र के अधिपति देवता शिव है और देवी शक्ति लाकिनी है। ईसे सुर्य चक्र भी कहते हैं।
मणिपुर चक्र कैसे जागृत करें
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पुर्व दिशा में मुख रहे ऐसे बैठे। अपने ध्यान का आसन ले। वज्रासन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथ घुटनों पर रख लें, फिर अपने सामने एक तकिया रखें और अपना सिर उस तकिए पर झुका दे और आंखें बंद करके शांत चित्त होकर के बैठे रहे। अपने मन को मुलाधार चक्र पर लाए और रं बिज मंत्र का उच्चारण करें। इस ध्यान विधि करने से आपके नाभी में कंपन होना शुरू हो जाएंगा। फिर वो कंपन आपको थंडे लगने लगेंगे। इस स्थिति में ध्यान करने से मणिपुर चक्र जागृत होंगा। मणिपुर बड़ा महत्वपूर्ण चक्र है। मणिपुर चक्र जागृत किते बिना आप आध्यात्मिक मार्ग में आगे नहीं बढ़ सकते।
मणिपुर चक्र जागृती के लाभ
1. यह चक्र जागृत होने पर व्यक्ति सर्वशक्तिमान हो जाता है। प्रकृति के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है।जिलों की उत्पत्ति कैसे हुई इसका ज्ञान भी देता है। यह चक्र पुर्व जन्म का ज्ञान भी देता है। भाषा का ज्ञान देता है, अग्नि तत्व की सिद्धि देता है।
2. जींस व्यक्ति की चेतना या उर्जा यहां एकत्रित उसे काम करने की धुन सी है, ऐसे लोगों को कर्म योगी कहते हैं। ये लोग दुनिया का हर काम करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
3. यह चक्र सक्रिय होने से तृष्णा, ईर्ष्या, नींदा, लज्जा, भय, घृणा आदि क्लेश दूर हो जाते हैं।
4. यह चक्र मुल रुप से आत्मशक्ति प्रदान करता है।
5. इस चक्र के जागृत होने से अनिन्द्रा और ज्ञर तरह की चिंता दुर हो जाती है।
6. स्पष्टता, आनंद, ज्ञान, बुद्धि और बहुत निर्णय लेने की योग्यता जैसे गुण विकसित होने लगते हैं।
7. मणिपुर चक्र स्फुर्ति का केन्द्र है। यह हमारे स्वास्थ्य को सुदृढ़, पुष्ट करने के लिए यह हमारी उर्जी नियंत्रित करती है।
8. इस चक्र का प्रभाव एक चुम्बक की तरह होता है जो ब्रम्हांड से प्राण अपनी ओर आकर्षित करता है।
9. पाचन तंत्र में गड़बड़ी को यह चक्र ठीक कर देता है।
10. एक दृढ़ और सक्रिय मणिपुर चक्र अच्छे स्वास्थ्य में बहुत सहायक होता है और बहुत सी बिमारी को रोकने में हमारी मदद करता है।
निष्कर्ष
मै आशा करता हूं कि मणिपुर चक्र क्या है, कैसे जागृत करें, ये आपके समझ में आ गया होगा। अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें।