मन को यह कतई मंजूर नहीं है कि उस पर कोई अंकुश लगाए। जब आप विचारों को रोकने की कोशिश कर रहे होते हैं तो मन ओर अधिक बल से विचारों को पैदा करना शुरू कर देता है। जैसे ही हम ध्यान करने बैठते हैं तो दुनिया भर के विचार हमारे सामने आकर खड़े हो जाते हैं। उस वक्त ऐसा लग रहा होता है कि अभी नहीं उठे तो पता नहीं कंया अनर्थ हो जायेगा। यानी सीधे तौर पर हम विचारों को नहीं रोक सकते तो हम विचारों को हटा सकते हैं।
ध्यान करते समय विचारों को कैसे रोकें
सबसे अच्छा तरीका है की जब आप ध्यान पर बैठे और उस समय जो भी विचार चल रहे हो उन विचारों के साथ हो ले। उस समय जो विचार चल रहा हो वो जानने की कोशिश करें। वो विचार दुसरे किस विचार से आया है। थोड़ी देर ऐसा करने से विचार रुकना शुरू हो जाएंगे। दुसरा आपको प्राणायाम की मदद लेनी होगी। नाडी शोधन प्राणायाम। गहरी सांस फिर भ्रामरी प्राणायाम। आप बार बार अपना ध्यान विचार से हटाकर अपने श्वास पर लाते रहे या आप कोई मंत्र जाप कर रहे हैं तो बार बार अपना ध्यान मंत्र पर लाते रहे। बस इतना करने के बाद विचार रुकने शुरू हो जायेंगे।
ध्यान मे विचारो को नियंत्रित ना करने के कारण
इसके पिछे की कारण हो सकते हैं।
1. महत्वाकांक्षा - अगर आपके मन के अन्दर जीवन में बहुत कुछ पाने के लिए इच्छाएं हैं, वासनाएं है। आपको अपने जीवन में बहुत बड़ा बनना चाहते हैं। धन, वैभव, पद, प्रतिष्ठा पाना चाहते हैं तो जब इतना सब कुछ आपके अन्दर उत्तेजनाए होंगी। तो फिर आपके विचार तो होंगे ही। क्योंकि आप इतनी अन्दर अशांत भी है। तो जितना आप अशांत होंगे उतना आपके अन्दर ज्यादा विचार होंगे।
2. युवावस्था - आप युवावस्था में है तब भी आपके विचार ज्यादा होंगे। क्योंकि अभी आपके अन्दर उर्जा है, अभी आपके अन्दर महत्वाकांक्षा है, इच्छाएं है। तो इसलिए इस आयु में भी व्यक्ति के अन्दर विचार ज्यादा रहते हैं।
3. भोजन- अगर आप बहुत ज्यादा तामसीक भोजन लेते हैं, तथा, भुना खाते है और इस प्रकार का आहार लैते है जो भारी है तो उसके कारण भी हमारे मन में विचार की उत्पत्ति सामान्य से अधिक होती है। और रजस, तमस, सत्व इनमें से कौन सा गुण आपके अन्दर ज्यादा है। अगर आपके अन्दर रजस बहुत ज्यादा है तो आपके अन्दर विचारो की भीड़ रहेंगी। अगर आपके अन्दर तमस बहुत ज्यादा है तो आपके अन्दर आलस्य रहेंगा। और आपके अन्दर सत्व अगर ज्यादा है तो आपकी उर्जा नियंत्रित रहेंगी। फिर आपकी अन्दर विचार कम आएंगे।
4. ध्यान में बैठने की स्थिति - अगर आप ध्यान में जब बैठ रहे हैं तो किस प्रकार से बैठते हैं। अगर ध्यान में बैठने के दौरान आपकी रीढ झुकी हुई है या आपकी कमर सीधी नहीं है तब भी विचार ज्यादा आएंगे। क्योंकि जैसे ही हमारी रीढ सीधी होंगी हम सावधान हो जाएंगे। रिंग सीधी होते ही हमारे अंदर अलर्टनेस आ जाती है। और विचारों को नियंत्रण करने के लिए जो चीज चाहिए वो है अलर्टनेस।
5. नाडी दोष - नाडी दोष के कारण भी विचार ज्यादा तंग करते हैं। अगर हमारी इड़ा नाड़ी ( बाई तरफ की नथुने ) असंतुलित है तौ आपको भुत काल के ज्यादा विचार आएंगे। क्योंकि उड़ा नाडी हमारे भुतकाल से जुड़ी है। या हमारी पिंगला नाड़ी ( दाई तरफ की नथुने ) असंतुलित है तो आपको भविष्य के विचार ज्यादा आएंगे।
निष्कर्ष
जब आप विचारों से अलग हो जाएंगे, अलर्ट हो जाएंगे तो विचारों को आपसै उर्जा नहीं मिलेंगी तो वो ख़तम होना शुरू हो जाएंगे। हमारे मन के अन्दर यदि सावधानी का प्रकाश होंगा तो विचार रुपी चोर ओर अन्दर नहीं घुस पाएंगे। मैं आशा करता हूं कि ध्यान के दौरान विचारों को कैसे नियंत्रित करें, आपको समझ में आ गया होगा। अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी है तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे