आजकल लोग काम के पिछे रातदिन काम के पिछे भागते है और खुद के लिए समय नहीं निकाल पाते। इसका असर ये हो रहा है की लोगों में चिंता, डर और निराशा काफी बढ़ गई है। लोग हरदम इंफोर्मेशन और शोषल मिडिया से चिपके रहते हैं। हालही में नई रीडर्स सामने आई है की जितना ज्यादा दुसरो की इन्फोर्मेशन और आईडियास को ग्रहण करते हैं उतना ही खुद का दिमाग इस्तेमाल करने की आदत छोड़ते जाते हैं और ये दिखाई भी दे रहा है।
आजकल लोग पांच मिनट भी खाली नहीं बैठ पाते।अगर किसी का फोन उससे ले लिया जाए तो वो बेचैन हो उठते हैं। हमरे दिमाग को जब ये लगता है कि हम कुछ नहीं कर रहे है तो उसमें एक ट्रीगर सा चलता है। आखिर हमारा दिमाग प्रोब्लम सोल्व करने के लिए इनवोल्व हुआ है और अगर दिमाग के पास कुछ करने को ना हो तो वो खुद में एक प्रोब्लम बन जाती है। तो आ खिर इस प्रोब्लम का ईलाज क्या है। हम इस भागदोड में हमारे दिमाग को शांत कैसे रख सकते हैं।ऐसी कोई तकनीक है जिससे peace of mind हम achieve कर सकते हैं।
एक तरिका जो दिन प्रतिदिन पाॕपुलर होता चला जा रहा है जिसे हम मेडिटेशन के नाम से जानते हैं। ज्यादा से ज्यादा लोग शहरों में मेडिटेशन का इस्तेमाल अपने stress levei कम करनै कै लिए करने लगे हैं। मेडिटेशन की तकनीक जिसे हम ध्यान कहते हैं वो कम से पांच हजार साल पुरानी है। गौतमबुद्ध ने 24 साल की उम्र से लेकर 29 साल तक मेडिटेशन किया। जिसके बाद उन्होंने सत्य की प्राप्ति की। स्वामी विवेकानंद ने काफी लम्बे और गहरे मेडिटेशन की प्रेक्टिस की। उन्होंने मेडिटेशन के बेनेफीट को लोगों तक पहुंचाने के लिए रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
मेडिटेशन एक प्रेक्टिस है जिसका उपयोग अपने दिमाग को समझने के लिए किया जाता है। और उसे किसी भी प्रकार के मोह से मुक्त करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
एक सामान्य मेडिटेशन इस तरह से किया जाता है -
दिन के किसी खाली समय में घर के किसी शांत जगह पर बैठ जाइए। ध्यान दिजिए कि आपके पीठ सिंधी रहे और आप आरामदायक स्थिति में बैठे। अपनी आंखें बंद करके ध्यान अपने सांस पर लगाए। आपका दिमाग वहीं करेंगा जौ करता है। वो सोचेंगा, यहां वहां भटकेंगा। वो आपको काम करने की सुची बताऊंगा। वो बाज़ार से क्या सामान लाना है। आपका दिमाग आपको बताऊंगा वो चीजें जो आप भुल गए है, वो चीजें आपको नहीं बुदनी चाहिए।
आपका दिमाग आपसे कहेंगा की यहां बैठने की बजाय दुसरे काम करना चाहिए। वो आपको बोलेंगा कि व्यस्त रहना अच्छी बात है। ये भी बोलेंगा कि आपको जोर कि निंद आ रही है। वो आपको बोलेंगा कि आप मेडिटेशन ठिक से नहीं कर रहे और आपको पुरा महसूस करना चाहिए। आप इन सभी विचारों को बिना किसी जजमेंट के जाने दिजिए। इन सभी को इग्नोर करके अपने सांस पर फोकस बनाए रखें। थोडे समय अभ्यास करने के बाद आपका दिमाग शांत होने लगेगा और आपको एक अजीब सा आनंद और खुशी महसूस होंगी। जैसे जैसे आप मेडिटेशन का अभ्यास करेंगे, में शांति बढ़ती जाएंगी।
सबसे ज़्यादा ज़रूरी बात ये होंगी कि आपका मन शांत हो जाऊंगा। आपकी जागरूकता बढ़ जाएंगी और आप अपने साथ कनेक्ट करना शुरू कर देंगे।
ध्यान कैसे काम करता है
अपने दिमाग पर काबू रखना, किसी भी चीज पर अच्छे से फोकस करना, हर स्थिति में आपके काम आता है। हमारे शरीर में पांच तरह के ब्रेन वेव होती है। जो अलग अलग एक्टिविटी के साथ जुड़ी होती है। मेडिटेशन के का अभ्यास करके हम उच्च फ्रिक्वेंसी ब्रेनवेव से निम्न फ्रिक्वेंसी ब्रेनवेव में जा सकते हैं। जो हमारे दिमाग के अलग अलग केन्द्रों को संचारित करता है। धीमा वेवलेंथ मतलब हमारे विचार के बिच ज्यादा समय। इसका मतलब है हम आराम से इन विचार पर फोकस कर कर सकते हैं। जो हमारे लिए फायदेमंद है।
ब्रेनवेव की पहली स्टेज है गामा स्टेज। हमारे दिमाग कि ये स्टेज कुछ भी सिखने के लिए काफी अच्छी होती है। और इसमें हम काफी एक्टिव रहते हैं। प्रशिक्षक भी अपने श्रोता को इस स्टैज में लाने के लिए काफी एक्टिव रहते हैं। ताकि कुछ भी आसानी से सिखाया जा सके। अगर स्टेज में हम ज्यादा देर तक रहते हैं तो एंग्जाइटी होने का डर रहता है।
हमारे दिमाग की दुसरी स्टेट है बीटा स्टेट, इस स्टेट में हम दिन के काफी समय रहते हैं। इस स्टैट में दिमाग काफी अलर्ट रहता है। इसे working या thinking mind भी कहते हैं। इसमें आपका दिमाग काफी एनालिटिक होता है और प्लानिंग करता है।
तिसरी स्टेट है अल्फा स्टेट है। इस स्टेट में आपका दिमाग thinking mind से धीरे धीरे शांत होने लगता है। हम काफी calm और peaceful महसूस करते हैं। हमारा माइंड अल्फा स्टेट मे अक्सर होता है जब हम योगा करते है या शांत जगह पर walking करते हैं या ऐसी कोई एक्टिविटी करते हैं जिससे हमारा शरीर और दिमाग दोनों शांत होते हैं। इस स्टेट में हमारा माइंड काफी बेलेंस अवस्था में होता है।
चौथी स्टेट है थीटा स्टेट होती है। इस स्टेट में हम मेडिटेशन में होते से। हमारा माइंड thinking और planning से हटकर एक deeper state of awareness में चला जाता है। इस स्टेट में हमारी सेंस काफी बढ़ जाती है और दुनिया को स्वीकार करने की हमारी क्षमता भी काफी बढ़ जाती है।
आखरी स्टेट है डेल्टा स्टेट। तिब्बतन मंक जो काफी सालों से मेडिटेशन कर रहे हैं वो इस स्टेट में जगी हुई अवस्था में पहुंच पाते हैं। लेकिन हममें से ज्यादातर लोग इस स्टेट मे तब पहुंच पाते हैं जब हम गहरी स्वप्नरहित निंद मैं होते हैं।
निष्कर्ष
मैडिटेशन एक अनंत सुख है। जब आप मुश्किल वक्त से गुजर रहे हो तो आप अपने अंदर शांति खोल सकते हैं। लेकिन जैसे किसी भी मंजिल तक पहुंचने के लिए काफी बार प्रयास करना पड़ता है वैसे ही मेडिटेशन के लिए भी थोड प्रेक्टिस करनी पड़ती है। 20 मिनट सुबह और 20मिनट काम से आने के बाद आमतौर काफी होते हैं।
मूझे आशा है कि ध्यान कैसे काम करता है ये आपको समझ में आ गया होगा। अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे।