आज के समय में तनाव, अवसाद , मानसिक अशांति जैसी समस्या बच्चे युवा से लेकर वयस्क उम्र तक को है। बच्चों को पढ़ाई की टेंशन , युवाओं को जाॕब की चिंता और वयस्कों को घर चलाने कुछ चिंता। चिंता से बचने के लिए हममे से की लोग संगीत का सहारा लेते हैं , और हममें से कुछ ऐसे है जो शराब का सहारा लेते हैं जो उनके लिए हानिकारक है। पर इन सबसे बेहतर भी एक तरिका है जो हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों ने सदियों पहले है दिया था। जिसका उपयोग आज पुरा विश्व कर रहा है और वो है ध्यान जिसे आप मेडिटेशन के नाम से भी जानते होंगे।
मेडिटेशन के कई फायदे हैं वो हमरी चिंता तो दुर करता ही है और साथ साथ दुसरे भी की सारै चमत्कारिक परीणाम भी हमें देता है। इस पोस्ट में हम जानेंगे कि ध्यान करने का सही तरीका क्या है।
ध्यान करने का सही तरीका क्या है
1. आपको एक ऐसा स्थान खोजना है जहां ज्यादा शोरगुल ना हो। वैसे तो आप ध्यान किसी भी जगह कर सकते हैं पर आप एक जगह पर ध्यान करने की आदत रखोंगै तो उससे आपको ध्यान में दोगुना लाभ होंगा। उसकी तह वजह है कि जब हम ध्यान करते हैं तब हमारे शरीर में ऊर्जा प्रवाह संचार होता है। जिस जगह पर आप नियमित ध्यान करोंगे उस जगह भी आपकी पवित्र उर्जा से सकारात्मक हो जाता है। जिससे आप दुसरे दिन भी उस स्थान पर तुरंत ध्यान लगा पाएंगे।
2. ध्यान में आप किसी भी तरह बैठ सकते हैं। चाहे तो आप खुर्ची पर बैठ सकते हैं या फिर जमीन पर आसन लगाकर बैठ सकते हैं।
3. ध्यान करते समय पुरे शरीर को सीधा रखना है। पैरों को मोड़ना है और दोनों हाथ को एक दूसरे के उपर रखना है।
4. अपनी आंखों को बंद करें।
5. अपने पुरे शरीर को ढीला छोड़ दें।
6. आप महसूस करोंगे की आप जब ध्यान में बैठोगे तो शुरुआत में बहुत से विचार मन में आने शुरू हो जाएंगे। आप जितना इन विचारों को मन में आने से रोकोंगे उतने तेजी से वो विचार आते जाएंगे। इसलिए विचारों को रोकने की कोशिश नहीं करनी है। पर अपने श्वास पर फोकस करना है। बन्द आंखों से विजुअलाइज करें कि कैसे सांस अन्दर जा रही है और कैसे बाहर आ रही है। बस आपको सांसों पर ही फोकस रखना है और ध्यान करते रहना है। यहां पर किसी भी समय आपका फोकस कुछ सेकंड के हटता है तो तुरंत विचार आना शुरू हो जाते हैं।
उस समय आपको वापस सांसों पर फोकस करना शुरू कर देना है। जब भी आप सांसों पर फोकस करोंगे तब सारे विचार अपने आप चले जाएंगे। और दो से तिन मिनट के बाद आप स्वयं महसूस करोंगे की आपका पुरा शरीर और मन शुन्य हो गया है।
ध्यान जैसे जैसे गहरा होता जाता है व्यक्ति क मन स्थिर होने लगता है। उस पर किसी भी भाव, विचार और कल्पनाओ का क्षण मात्र भी प्रभाव नहीं पड़ता है। मन और मस्तिष्क का मौन हो जाना ही ध्यान का आत्मिक स्वरूप है। ध्यान में हमारी पांचों इन्द्रिया मन के साथ, मन बुद्धि के साथ और बुद्धि अपने स्वयं आत्मा में लिन होने लगती है। और जब ये अनुभूति आपको होती है। तब लगेगा की कितना शांत , तनावमुक्त मन हो गया है।
ध्यान क्या है
ध्यान को आप फोकस करना भी कह सकते हैं। जिसमें आपको सिर्फ एक ही जगह पर ध्यान केंद्रित करना है। यहा पर इसका मतलब सिर्फ आंखे बंद कर ध्यान में लीन हो जाना भी नहीं है। अगर आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो ध्यान करना एक क्रिया है जिसमें बाहरी दुनिया से विरक्त होकर खुद को समझने कि एक प्रक्रिया है। जिसमें व्यक्ति अपने मन को चेतना की एक विशेष अवस्था में लाने का प्रयत्न करता है। ध्यान से अनेक प्रकार के ज्ञात और चमत्कारीक क्रियाओ का बोध होता है।
ध्यान से आपके अन्दर आन्तरिक उर्जा या ध्यान शक्ति का निर्माण बढ़ जाता है और आपके अन्दर करूणा, प्रेम, धैर्य, उदारता, क्षमा आदि गुणों का विकास होता है। महर्षि पतंजलि के योग सुत्र में ध्यान भी एक सोपान है। महर्षि पतंजलि कहते हैं कि ध्यान कि अवस्था में ध्यान करने वाला अपने आसपास के वातावरण को तथा स्वयं को भी भुल जाता है और ध्यान करने से आत्मिक तथा मानसिक शक्तियां का भरपूर विकास होता है। ध्यान में मन के बिखराव को रोककर एक जगह पर फोकस करना है, और खुद के क्रिएशन पाॕवर को जगाना है। यह खुद को जानने और समझने की आसान प्रक्रिया है।
ध्यान के लाभ
मेडिटेशन के कई फायदे हैं। मेडिटेशन करने से कई अच्छी चीजों में बढ़ोतरी होती है, जिसमें -
1. सकारात्मक भावनाएं बढ़ती है।
2. शरीर की रोगप्रतिरोधक शक्ति में वृद्धि होती है।
3.भावनाओं पर नियंत्रण रहता है
4. किसी भी कार्य में फोकस करने की क्षमता बढ़ाती है।
5. मन शांत होने से रचनात्मक कार्य में वृद्धि होती है।
6. ध्यान से हमें अपने जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद मिलती है।
7. किसी कार्य का सही उद्देश्य और महत्वत्ता का ज्ञान हो पाता है।
8. ध्यान से अर्थहीन बातों के प्रति समझ बढ़ जाती है और उनकी चिंता करना छोड़ देते हैं।
9. ध्यान से चिंता और तनाव में 31%तक कमी आती है।
अकेले पन कि feeling दुर होती है।
1. Stress कम होता है।
ध्यान करने से हमारे मस्तिष्क में क्या होता है
जब भी हम ध्यान करने बैठते हैं तब हमें अपने मन को शांत करना होता है। यानी की बिना विचार के पुरी तरह से शुन्य हुआ मन। आपका मन कभी भी शांत होता ही नहीं है। जब भी खाली बैठे हुए होते हैं। कुछ ना कुछ विचार आपके मन में चलते रहते हैं। वैज्ञानिक कहते है कि हमारे मन में एक दिन में पचास हजार से लेकर सत्तर हजार तक विचार आते हैं। यानी एक मिनट में 38 से 48 विचार आते हैं। ज़्यादातर पाया गया है कि पुरे दिन में जो भी विचार हमें आते हैं उसमें 70% विचार नेगेटिव ही आते हैं। सिर्फ और सिर्फ 30% विचार हमें आते हैं जिसको भी हम दुसरे दिन भुल जाते हैं।
इसलिए ध्यान के समय अपने मन को दुसरे विचारों से मुक्त करना बहुत मुश्किल है पर असंभव भी नहीं है। जब भी हमारे मन में एक साथ असंख्य कल्पनाएं और विचार चलते रहते हैं। उस समय मन मस्तिष्क में कोलाहल सा बना रहता है।हम नहीं चाहते हैं फिर भी यह चलता रहता है। और आप लगातार सोच सोच कर स्वयं को कमजोर करते जाते हैं और यही विचार हमारे भावनाओं को बदलता है और उसी से सारी समस्या शुरू होती है। इस समस्या को दूर कारने के लिए अपने मेडिटेशन के समय अनावश्यक विचार को कम करना है, और ऐसा तब तक करना है जब तक आपका मन शुन्य हो जाए यानी बिना गियर के शांत मन अनावश्यक कल्पना और विचारों को मन से हटाकर मन को शांत रखने की कोशिश करनी है।
निष्कर्ष
मुझे आशा है कि ध्यान करने का सही तरीका आपको समझ में आ गया होगा। अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी है तो इसे अपने दोस्तों को जरूर शेयर करे।