आनापानसती ध्यान क्या है
यह भारत की 2600 साल पुरानी ध्यान साधना है। जो भगवान बुद्ध द्वारा दी गई विपश्यना साधना का एक पहला चरण है। जो छोटे बड़े सभी के सुख शांति का जीवन जीने के लिए अत्यंत कल्याणकारी साधना है। यह श्वास पर ध्यान देने का प्रयोग है। श्वास को घटाना या बढ़ाना नहीं है। श्वास जैसी चल रही है। उसे सिर्फ देखना है। धीरे धीरे निरंतर देखने से श्वास तुमसे अलग हो जाती है। क्योंकि जिस चीज को भी तुम दृश्य बना लेते हो तुम गहरे में उससे भिन्न हो जाते हो।
असल में दृश्य से दृष्टा एक हो ही नहीं सकता। उससे वह तत्काल भिन्न होने लगता है। तो श्वास को अगर तुमने दृश्य बना लिया और 24 घंटे चलते उठते बैठते तुम उसको देखने लगे। श्वास आ रही है,जा रही है। तो तुम्हारा फासला अलग होता जाएगा। और एक तुम अचानक पाआओंगे की तुम अलग खड़े हो और वह श्वास चले रही है। बहुत दुर तुमसे उसका आना और जाना हो रहा है। तो इससे वह घटना घट जाएगी। तुम्हारे शरीर से उसके पृथक होने का अनुभव हो जाएगा।
किसी भी चीज को तुम शरीर की गतियों को देखने लगे। जैसे रास्ते पर चलनते वक्त ध्यान रखो की बायां पैर उठा, दायां पैर उठा। बस तुम 15 दिन तकअपने पैर पर ही दैखते रहो। तुम अचानक ही पाओंगे की तुम पैर से अलग हो गए। अब तुम्हें पैर अलग से उठते हुए मालूम पड़ने लगेंगे। और तुम बिल्कुल दृष्टा बन जाओंगे।
आनापानसती ध्यान कैसे करें
इसका लिए आपको अपने रीढ कि हड्डी को सिधा करके सुखासन करके किसी शांत पर बैठना है। और आंख बन्द करके नासापुटों से लेकर उपर के होटों तक जो जगह है। वहां पर आपके पुरे मन को केन्द्रीत करना है और श्वास का जो आवागमन है उसे देखना है। बिना किसी विचार के आपको सजगता से, शांत चित्त से इस आती जाती श्वास को देखना है।
हमारा मन हमेशा विचारों से घिरा हुआ रहता है। और इसके कारण हम अपने स्वरूप को भुल जाते हैं। हमारा जो स्वरूप है उसी को उजागर करने के लिए, हमारा जो मन है उसे केन्द्रीत करने के लिए उसे जानने के लिए ये बड़ी कल्याणकारी विधी है।
आनापान सती ध्यान को करने के लाभ।
1. आनापान सती का पहला लाभ यह है कि तुम्हारी याद्दाश्त बहुत शार्प हो जाएंगी।
2. मन को एक स्थान पर स्थिर रखने में मदद मिलती है।
3. इस ध्यान से घबराहट दूर होती है।
4. व्यसन से मुक्ति मिलती है।
5. आनापान सती ध्यान करने से मन का भटकाव और बेचैनी दूर हो जाती है।
6. इससे क्रोध से मुक्ति मिलती है।
7. पढ़ाई में मन लगता है और उसमें खुब प्रगति होती है।
8. खेल कूद ध विविध कलाओं में कुशलता आती है।
9. कोई भी बात समझने और समझाने में मदद मिलती है।
10. आत्मविश्वास बढ़ता है। सजगता बढ़ती है।
11. आपसी सद्भावना बढ़ती है। मन खुब सफल होता है।
12. आपके चक्र संतुलित हो जाना शुरू हो जाएंगे और कुंडलिनी शक्ति जागृत होना शुरू हो जाएंगी।
निष्कर्ष
आपको अपना ध्यान ज्यादा से ज्यादा श्वास पर लगाना है जिससे आपका मन विचारों से हट जाएंगा। वैसे भी आप विचारों को नियंत्रित नहीं कर सकते। इसलिए अपना ध्यान विचारों पर टिकाए। तो विचार अपने आप आना पम हो जाएंगे। इस जीवन में परीवर्तन आना शुरू हो जाएंगे। जैसे जैसे आपका ध्यान सघन होता चला जाएगा। आप गहरे से गहरे ध्यान में प्रवेश करते चले जाएंगे।