मीन संक्रांति क्या है
सुर्य देव का एक राशि से दुसरे राशि में परिवर्तन करने को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। जब सुर्य देव कुंभ राशि से मीन राशि में गोचर करते हैं तो उसे मीन संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मीन संक्रांति के दिन स्नान , दान का विशेष महत्व माना गया है। इस पोस्ट में हम जानेंगे मीन संक्रांति कब है , पुण्य काल का समय , महापुण्यकाल का समय पुजा विधि और स्नान, दान महत्व के बारे में।
मीन संक्रांति कि पुजा विधि
मान संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या या सरोवर में स्नान करना चाहिए, लेकिन अगर ऐसा संभव ना हो सके तो आप घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इसके पश्चात सुर्य देव की पुजा करें। उगते सुर्य को तांबे के लोटे में जल भरकर अध्र्य दे। मान्यता है कि ऐसा करने से स्वास्थ्य लाभ के साथ ही नकारात्मक ऊर्जा से भी मुक्ति मिलती है। सुर्य संक्रांति के दिन सुर्य मंत्रो का जाप करें। आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करें।
मीन संक्रांति में दान का महत्व
संक्रांति के दौरान दान करने का विशेष महत्व माना गया है। मकर संक्रांति के दिन जरुरत मंद व्यक्तियों को श्रद्धानुसार तिल , वस्त्र और अनाज का दान कर सकते हैं। मीन संक्रांति के दिन गाय को हरा चारा खिलाना भी शुभ माना गया है। इस दिन बच्चों को शिक्षण से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए। भगवान शिव और भगवान विष्णु की पुजा करना मलमास में फलदाई मानी जाती है। मीन संक्रांति सुर्य देव की आराधना का पावन पर्व है। ये तन मन और आत्मा को शक्ति प्रदान करता है। इस दिन सुर्य देव को जल अवश्य अर्पित करें।
साल 2023 में मीन संक्रांति कब है
साल 2023 में मीन संक्रांति 15 मार्च बुधवार को है।
मीन संक्रांति पुण्यकाल का समय सुबह 6 बजकर 47 मिनिट से दोपहर 1 बजकर 10 मिनिट तक। कुल अवधि 6 घंटे 23 मिनिट की रहेंगी।
महापुण्यकाल का समय सुबह 6 बजकर 47 से सुबह 8 बजकर 46 मिनिट तक। कुल अवधि 2 घंटे रहेंगी।
मीन संक्रांति का क्षण रहेंगा सुबह 6 बजकर 47 पर।
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मीन संक्रांति का धार्मिक महत्व
शास्त्रों में मीन संक्रांति को बहुत खास माना गया है मीन संक्रांति से ही सुर्य देव की गति उत्तरायण की तरफ़ बढ़ने लगती है। उत्तरायण होते ही दिन बड़ा होने लगता है और रात छोटी होने लगती है। उत्तरायण को देवताओं का समय कहा गया है। माना जाता है कि इसमें देवता काफी सशक्त हो जाते हैं। इस दिन पवित्र नदियों का स्नान करने से नकारात्मकता दुर होती है , पाप कटते हैं और सुख समृद्धि आती है। इस दिन को सुर्य का उपासना का दिन माना गया है।