विनायक चतुर्थी क्या है
शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। कई स्थानों पर विनायक चतुर्थी को वरदा विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। ईस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा दोपहर मध्यान्ह कार्य में कि जाती है। भगवान श्री गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। विघ्नहर्ता अर्थात आपके सभी दुःखो को कष्टों को हरने वाले देवता भगवान श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए विनायक,विनायकी चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है।
विनायक चतुर्थी व्रत क्यों किया जाता है
प्रतिमाह शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।यह चतुर्थी भगवान श्रीगणेश को समर्पित है।ईस दिन श्री गणेश का पूजन करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन गणेश भगवान का व्रत व उपवास करने से घर में सुख, समृद्धि,धन, दौलत, आर्थिक सम्पन्नता के साथ ज्ञान व बुद्धि की प्राप्ति होती है।
विनायक चतुर्थी व्रत कैसे करें
- ईस दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नान कर लें उसके बाद आप लाल रंग के वस्त्र धारण करे।
- पुजा घर में गणेश जी का मन ही मन ध्यान करें। चतुर्थी व्रत का संकल्प करें। दोपहर पुजा के समय अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने या चांदी, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से निर्मित गणेश प्रतिमा स्थापित करे।
- पुजा करते समय उत्तर दीशा कि और बैठकर गणेश की स्थापना करें। गणपति जी के सामने कलश स्थापित करें।
- अक्षत, पुष्प, रोली,माला,मोदक, दुर्वा, पंचामृत, भगवान गणेश जी को अर्पित करें। भगवान गणेश जी की विधि पुर्वक पुजा करें। गणेश जी की आरती करें। उन्हें सिन्दुर चढ़ाएं।
- उसके बाद "ॐ गं गणपतेय नमः " मंत्र को बोलते हुए 21 दुर्वा दल भगवान गणेश जी को चढ़ाएं।
- गणेश जी को बुंदी के 21 लड्डू का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डूओं का दान ब्राह्मण को दे तथा 5 लड्डू श्रीगणेश जी के चरणों में रखकर बाकी प्रसाद में बांट दें।
- पुजा के बाद संकट नाशक गणेश स्तोत्र का पाठ करें।
- आप में शक्ति हो तो पुरे दिन और रात का व्रत का उपवास करें। अथवा फल दुध,दही,फल का ज्युस भी पीकर व्रत कर सकते हैं।ईस दिन आप नमक ना खाने,ईस दिन सेंधा नमक भी ना खाएं। इसके इस्तेमाल से बचें।
- शाम को एक बार फिर स्नान करके कपड़े बदले शाम के समय फिर गणेश जी की पूजा करें।शाम की पुजा के बाद विनायक चतुर्थी व्रत कथा श्रद्धा पूर्वक पढे अथवा सुने।अब गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि भी ईस दिन पढ़ सकते हैं।
- ईसके बाद गणेशजी की आरती करें तथा गणेश जी के मंत्रो का ॐ गं गणपताय नमः मंत्र की माला जपे।ईस व्रत को आप पुरी श्रध्दा और भक्ति पूर्वक करें।आपकी सभी ईच्छा मनोकामनाएं भगवान श्री गणेश जल्द ही पूर्ण करेंगे। भगवान पर विश्वास मनाए रखे। विश्वास से ही शक्ति प्राप्त होती है। गणपति जी सभी का मंगल करेंगे।ईस प्रकार से आप गणेश जी की पूजा को व्रत करें।
विनायक चतुर्थी व्रत में क्या खाएं
आप में शक्ति हो तो पुरे दिन और रात का व्रत का उपवास करें। अथवा फल दुध,दही,फल का ज्युस भी पीकर व्रत कर सकते हैं।ईस दिन आप नमक ना खाने,ईस दिन सेंधा नमक भी ना खाएं। इसके इस्तेमाल से बचें।
विनायक चतुर्थी व्रत कब है
इसे भी पढिए - साल 2023 व्रत , त्योहार और तिथियों की सम्पूर्ण लीस्ट
विनायक चतुर्थी की व्रत कथा।
एक बार भगवान शिव जी माता पार्वती के साथ नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे। वहां माता पार्वती ने भगवान शिव से समय व्यतीत करने के लिए चौपाल का खेल खेलना आरंभ किया परंतु इस खेल में हार-जीत का फैसला कौन करेगा यह प्रश्न आया तो भगवान शिव ने तिनके से एक पुतला बनाकर उसकी प्राण प्रतिष्ठा कर दी और पुतले से कहा बेटा हम चौपाल खेलना चाहते हैं। तुम हार जीत का निर्णय करना कि हम दोनों में कौन जीता और कौन हारा।
इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का चौपाल खेल शुरू हो गया। यह खेल तीन बार खेला गया और संयोग से तीनों बार माता पार्वती ही जीत गई। खेल समाप्त होने के बाद से हार-जीत का फैसला करने के लिए कहा।ईस बालक ने महादेव को विजयी बताया।यह सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गईं और क्रोध में उन्होंने उस बालक को शरीर से विकलांग होने का शाप दे दिया।बालक ने माता पार्वती से क्षमा मांगी और कहा कि मुझसे अज्ञानवश हुआ है। मुझे क्षमा कर दें।
बालक के व्दारा क्षमा मांगने पर माता पार्वती न कहा कि यहां पर गणेश पुजा के लिए नाग कन्याएं आएगी। जैसे वे गणेश व्रत की विधि बताएं, वैसे ही तुम व्रत करो। ऐसा करने से तुम्हें दिया मेरा श्राप समाप्त हो जाएगा।यह कहकर माता पार्वती शिव जी के साथ कैलाश पर्वत चली गई।एक वर्ष बाद उस स्थान पर नाग कन्याएं आई। तब नाग कन्याओं से भी गणेश के व्रत की विधि जानने के बाद उस बालक ने 21 दीन लगातार गणेश जी का व्रत किया। उसकी श्रद्धा भक्ति से गणेश जी प्रसन्न हुए और बालक को मनवांछित फल मांगने को कहा।
उस बालक ने अपने पैरों से चलकर अपने माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत पर जाने का वरदान मांगा। बालक को यह वरदान देकर श्रीगणेश जी अंर्तज्ञान हो गए। बालक ईसके बाद कैलाश पर्वत पर पहुंचने की कथा उसने भगवान महादेव को सुनाई।कुछ दीनो बाद पार्वती जी शिव जी से विमुख हो गई। देवी को रुष्ठ होने पर भगवान शंकर ने भी बालक के बताएं अनुसार श्री गणेश जी व्रत 21 दिनों तक किया।
ईसके प्रभाव से माता के मन में भगवान भोलेनाथ के लिए जो नाराजगी थी वह समाप्त हो गई।ईस व्रत की विधि भगवान शंकर ने माता पार्वती को बताई।यह सुनकर माता पार्वती ने 21 दिनों तक श्री गणेशजी का व्रत किया, दुर्वा, पुष्प और लड्डूओं से श्रीगणेश जी का पुजन किया। व्रत के 21 दिन भगवान श्री किर्तिकेय स्वयं माता पार्वती के पास मिलने आए।उस दिन से गणेश चतुर्थी का व्रत मनोकामना पुर्तिकरने वाला व्रत माना जाने लगा।
विनायक चतुर्थी को चंन्द्रमा देखने से क्या होता है
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणैश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इसे विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग गणपति बप्पा को अपने घर विराजते हैं और पुरे दिन गणपति बप्पा की पुजा अर्चना करते हैं और ग्यारहवें दिन गणपति जी को विसर्जित करके अगले बरस जल्दी आने की कामना की जाती हैं।
ऐसी मान्यता है की गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा के दर्शन करने से पाप लगता है जो व्यक्ति इस दिन चन्द्रमा के दर्शन कर लेता है उसके उपर जुड़ा कलंक लग जाता है। इसी कारण इसे पथर चौथ या कलंकी चतुर्थी भी जाना जाता है।
निष्कर्ष
मैं आशा करता हूं कि विनायक चतुर्थी व्रत कैसे करें, आपको अच्छी लगी होंगी। अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें।