चक्रो को जाग्रत का आसान तरीका और ईससे होने वाले फायदे।
1.मुलाधार चक्र - सबसे पहले आता है मुलाधार चक्र जो गुदा और जननेन्द्रियो के बिच होता है। मुलाधार चक्र को जाग्रत करने के लिए नियमित ईस चक्र पर ध्यान लगाना चाहिए। ध्यान लगाते समय "लं"मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके अलावा जिवन में अच्छे कर्मो पर ध्यान देना चाहिए। प्रतिदिन व्यायाम , योग आदि करना चाहिए। ईसे जाग्रत करने से व्यक्ति के भीतर विरता,निरभिकता और आनंद के भाव आते हैं।
2.स्वधिष्ठान चक्र - दुसरा चक्र स्वधिष्ठान चक्र होता है,जो मुलाकात चक्र से थोड़ा उपर होता है। यदि ईसे जाग्रत कर लिया जाए तो क्रुरता,गर्व, आलस्य,प्रमाद,अवस्था, अविश्वास आदि दुर्गुणों का नाश होता है।ईस चक्र को जाग्रत करने के लिए घुटनो के बल सिने बैठ जाएं ओर हाथों को अपने जांघों पईर रखे। इसके बाद हथेलीयो को आपस में एक-दूसरे से एक गोले की तरह जोड़कर चक्र पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।ईस योग के दौरान "वं" मंत्र का उच्चारण करते रहना चाहिए।
3.मनिपुर चक्र - नाभी के पास स्थित चक्र को मनिपुर चक्र कहते हैं।ईस चक्र को जाग्रत करने के लिए घुटने के बल बैठकर, हाथों को पेट के पास ले जाकर नमस्कार मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद मन ही मन "रं" मंत्र का जाप करते हुए मनिपुर चक्र पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
4.अनाहत चक्र - हृदय स्थल में स्थित होता है अनाहत चक्र। ह्रदय के पास रहने वाले इस चक्र के प्रभाव से मनुष्य में कला का गुण आता है। ऐसे लोग हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करते रहते हैं। ईस चक्र को जाग्रत करने के लिए योग की मुद्रा में बैठ जाएं ओर अंगुठे से तर्जनी अंगुली को छुए।अब एक हाथ को हृदय पर रखे और एक हाथ को जांघों पर रखे रहे।मन ही मन "यं" मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।
5.विशुध्द चक्र - यह चक्र गले पर होता है। जहां वाणी की देवी मां सरस्वती का वास माना जाता है।इसके जाग्रत होने से मनुष्य में सोलह कलाओं को ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है।साथ ही मनुष्य पर भुख,प्यास और मौसम के प्रभाव बहुत कम होते हैं। ईस चक्र को जाग्रत करने के लिए घुटनो के बल बैठकर दोनों हाथों को जोड़े और फिर गले के अन्त्य में विद्यमान ईस चक्र पर ध्यान लगाए। ध्यान के दौरान "हैं"मंत्र का उच्चारण करते रहना चाहिए।
6.आज्ञा चक्र - दोनों भौहों के बिच स्थित चक्र को आज्ञा चक्र कहते हैं।इसे बेहद विकसित चक्र माना जाता है।ईस चक्र को जाग्रत करने के लिए काफी ध्यान और अभ्यास की आवश्यकता होती है। इसके लिए आसन लगाकर किसी शांत स्थान पर पर बैठ जाना चाहिए और अपनी तिसरी आंख पर ध्यान लगाना चाहिए। योग के दौरान "ॐ"मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।
7.सहस्त्रार चक्र - सहस्त्रार चक्र मस्तिष्क के मध्य भाग में होता है, अर्थात जहां चोटी रखते हैं वहां सहस्त्रार चक्र होता है।यह चक्र सबसे शक्तिशाली चक्र माना जाता है।इसे प्राप्त मनुष्य के लिए सांसारिक वस्तुओ का कोई मोल नहीं होता है।ईस चक्र को जाग्रत करने का सर्वोत्तम तरीका होता है किसी गुरु की सहायता से योग करना। गुरु अथवा किसी निरीक्षक की देखरेख में योग करने से लाभ होता है। सहस्त्रार चक्र ही नहीं अपितु सभी चक्रों को पाने या जाग्रत करने के लिए गुरु की सहायता लेना लाभदायक होता है।
निष्कर्ष
दोस्तों ये थे वो 7 चक्र जिनको जगा देने से एक मनुष्य भी सर्वज्ञानी बन सकता है। लेकिन इनको जाग्रत करना बहुत ही कठीन है। या फिर लगभग असंभव है। क्योंकि कुंडलिनी जागृत करने के लिए उच्चकोटी का ध्यान साधना करनी पड़ती है। परंतु आज के समय में ऐसा करना बहुत ही ज़्यादा मुश्किल है। मै आशा करता हूं कि 7 चक्र कैसे जागृत करें आपको समझ में आ गया होगा। और आपको ये पोस्ट अच्छी लगी है तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे।