वसंत पंचमी का क्या मतलब होता है
वसंत पंचमी कब मनाई जाती है
वसंत पंचमी की कहानी
वसंत पंचमी कैसे मनाई जाती है
वसंत पंचमी मनाने के पिछे क्या कारण है
वसंत पंचमी की पुजा विधी
ईस दिन प्रातः काल उठकर शरीर पर उबटन लगाने के बाद स्नान करना चाहिए।साफ पिले वस्त्र पहनना चाहिए और पुजा क लिए गणेश भगवान की मूर्ति अपने मंदिर में स्थापित करते हैं। उनके ठीक पिछे आपको बसंत स्थापित करना है।(नये अनाज की बालियां होती है, उन्हें तोड़कर आप कलश में डंठल सहित रखकर अबीर और पिले फुलों से बना सकते हैं।इसीको बसंत कहा जाता हैं।
पुजा स्थल में मां सरस्वती की पूजा करने के लिए तस्वीर या प्रतिमा स्थापित किजिए। तांबे के एक लोटे में आपको दुर्वा से जिसमें आपको जल भरना है और उसके बाद दुर्वा से आपको घर और मंदिर में ईस तरह मां सरस्वती की वंदना करनी है,"या कुन्देन्दु तुषार हार धवला। या शुभ्र वस्त्रा व्रता।या विणावर दंडमण्डीत करा।या श्वेत पद्मासना।या ब्रम्हाच्युत शंकर प्रभुति देवै सदा वन्दिता।सामापातु सरस्वती भगवती।निशेष: जाड्या पहा"। ईस तरह स्तुति करने के बाद मां सरस्वती को पिले रंग के वस्त्र अर्पित किजीए,पिले रंग के फुल अर्पित किजिए।साथ ही पिले रंग के फल भी मां सरस्वती देवी को जरूर अर्पित करने चाहिए।
आज के दिन विशेष रूप से पिले रंग का प्रयोग किया जाता है। इसलिए मां सरस्वती को भोग में आप पिले रंग की मिठाई का भोग लगाए।बचें हुए भोग का प्रसाद सभी सदस्यो में बाटिए और खुद भी ग्रहण किजिए।मा सरस्वती को केसर की बनी मिठाइ का भोग लगाएं। अपने पेन या किताब भी पुजा आज के दिन आपको जरूर करना चाहिए।
सरस्वती मां के किसी मंत्र का 108 बार जप करना आज के दिन बहुत शुभ माना जाता है।ईस दिन दो से दस वर्ष की कन्याओं को पिले मिठे चावलो का भोजन कराना बहुत शुभ माना जाता है।इन कन्याओं की पहले पुजा की जाती है और ईसके बाद ईन्हें पिले मिठे चावलो का भोजन कराया जाता है।मां शारदा और कन्याओं का पूजन करने के बाद पिले रंग के वस्त्र और आभूषण कुमारी कन्याओं को, निर्धनों को और विप्रो(ब्राम्हणों) को देने से आपके परिवार में ज्ञान, कला,सुख, शांति की प्राप्ति कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त इस दिन पिले फुलों से शिवलिंग की पूजा करना भी बहुत शुभ माना जाता है।
शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हुए लोगों को आज के दिन सरस्वती पूजा जरूर करनी चाहिए और जो लोग विद्यार्थी है उन्हें आज के दिन मां सरस्वती प्रतिमा के सामने पिले रंग के कागज पर लाल रंग की पेन या कलम से 11या21बार मां सरस्वती का," ॐ एवं सरस्वती नमः" मंत्र लिखना बहुत ही शुभ माना जाएगा।ऐसा करने से स्मरण शक्ति अच्छी होती है। बुद्धि बल और साथ ही समाज में यश प्राप्त होता है।मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए आज के दिन पिले रंग की चीजो का दान करना चाहिए।
ईस दिन आप पिले रंग के फलों का भी दान कर सकते हैं।पिले रंग के फलों में आप केले और पपिते का दान कर सकते हैं।आज के दिन खासकर पढ़ने वाले लोगों को अपने गुरुजनों का आशीर्वाद लेना चाहिए।पिले रंग की चीजों का दान करना चाहिए और गुरुजनों को पिले रंग की चीजें गिफ्ट में देना चाहिए ।
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वर्ष 2023 मे वसंत पंचमी कब है
वर्ष 2023 में वसंत पंचमी 26 जनवरी गुरूवार को है।
- वसंत पंचमी आरम्भ होगी 25 जनवरी को दोपहर 12:34 पर।
- वसंत पंचमी समाप्त होगी 26 जनवरी को सुबह 10:28 पर।
- शुभ मुहूर्त सुबह 07:12 से दोपहर 12:34 तक।
वसंत पंचमी का महत्व।
वसंत पंचमी शीत ऋतु के बिच जाने और खुशनुमा मौसम आने के रूप में मनाया जाता है। वसंत को ऋतुओं का राजा भी कहा जाता है।ये पर्व वसंत ऋतु के आगमन का सुचक है। इन्सान तो इन्सान प्रकृति भी खिल जाती है। वसंत ऋतु में पेड़ों से नई कोंपले निकलने शुरू हो जाती है।आम में मंजर फुट पड़ते हैं।खेतों में सरसों के पीले फूलों की चादर बिछ जाती है और कोयल की कूक सुनाई देने लगती है।
पुरानो में वर्णन के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन आपकी आराधना की जाएगी। इसलिए वसंत वाले दिन समुचे भारत में ज्ञान, विद्या और बुद्धि की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।
पारंपरिक तौर से यह त्योहार बच्चों की शिक्षा के लिए काफी शुभ माना जाता है। इसलिए देश के अनेक भागों में इस दिन बच्चों की पढ़ाई लिखाई का श्रीगणेश किया जाता है। बच्चे को प्रथमाक्षर लिखना और पढ़ना सिखाया जाता है।
वसंत पंचमी के दिन स्त्रियां पीले वस्त्र धारण करती है गांव,कस्बों में पुरुष पिली पगड़ी पहनते हैं। हिन्दू परंपरा में पिले रंग को बहुत शुभ माना जाता है।ये रंग समृद्धी, ऊर्जा, सौम्य ऊष्मा का प्रतीक है। ईस रंग को वसंती रंग भी कहते हैं।
कहते हैं वसंत पंचमी का यह त्यौहार वसंत के मौसम का संकेत होता है। चारों ओर हरियाली छा जाती है और कहा जाता है कि वसंत पंचमी का दिन बहुत ही शुभ होता है और इस दिन ईस दिन किसी भी नये कार्य की शुरुआत की जा सकती है। ईस दिन अबुझ मुहुर्त रहता है अर्थात लोग बिना पंचांग देखै पुरे दिन किसी भी समय अपने काम को अंजाम दे सकते हैं। अपना कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। जो लोग शुभ मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं ऐसे लोग जो भी रोजगार खोलना चाहते हैं, जो भी नया कार्य प्रारंभ करना चाहते हैं आज किसी भी समय दिन से शुरू कर सकते हैं।
ईस दिन परिवार में छोटे बच्चे को पहली बार किताब और कलम पकड़ाने कि भी मान्यता है। कहते हैं कि विद्या आरंभ करने के लिए ये दिन सबसे शुभ माना गया है। ईस दिन विधी पुर्वक मां सरस्वती की पूजा करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है और साथ में बुद्धि और विद्या का वरदान भी मां सरस्वती से मिलता है।
निष्कर्ष
मैं आशा करता हूं कि वसंत पंचमी क्या है और वसंत पंचमी क्यो मनाई जाती है, ये समझ में आ गया होगा और आपके लिए कुछ नइ, कुछ पुरानी जानकारी लेकर आया है इस पोस्ट को पढ़ने के आपका बहुत बहुत धन्यवाद और साथ ही साथ मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि यह आपके घर में हमेशा खुशीयों का वसंत बना रहे और पुरे परिवार में आपको सरस्वती मां का आशीर्वाद, विद्या और ज्ञान के रूप में हमेशा मिलता रहे।